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________________ नवम अध्याय भौगोलिक स्थिति भूगोल शास्त्र सम्बन्धी प्राचीन मान्यताएं रामायण, महाभारत, पुराण एवं धर्मशास्त्र आदि ग्रन्थों में प्राचीन भारतीय भूगोल की शास्त्रीय मान्यताएं प्राप्त होती हैं। वैदिक पुराणों तथा जैन पुराणों में भी भौगोलिक प्रकृति की विशाल सामग्री संकलित है । ब्राह्मण ओोर जैन साहित्य के भौगोलिक स्रोत अत्यन्त महत्त्वपूर्ण कहे जा सकते हैं । बौद्ध परम्परा का साहित्य भी भारत के प्राचीन भूगोल पर प्रकाश डालता है । पालि पिटक विशेषकर विनय एवं सुत्त नगरों एवं ऐतिहासिक स्थानों के प्रासङ्गिक उल्लेख प्रस्तुत करते हैं । दीपवंस एवं महावंस भी बौद्धों के भौगोलिक ज्ञान अवगत कराते हैं। कुल मिलाकर बौद्ध साहित्य की भौगोलिक सामग्री अत्यन्त महत्त्वपूर्ण होने के बाद भी प्राचीन भूगोल शास्त्र पर उस तरह से व्यवस्थित प्रकाश नहीं डाल पाती जितना कि वैदिक एवं जैन पुराणों की भौगोलिक सामग्री । १ वैदिक पुराणों में भौगोलिक मान्यताएं पुराणों में भूगोल विषयक प्राचीन 'सप्तद्वीप' सिद्धान्त का प्रतिपादन हुआ है । विष्णु पुराण के अनुसार ये सात द्वीप हैं - ( १ ) जम्बू ( २ ) प्लक्ष ( ३ ) शाल्मल ( ४ ) कुश (५) क्रौञ्च (६) शाक तथा ( ७ ) पुष्कर । इन्हीं सातों द्वीपों में से जम्बू द्वीप में भारतवर्ष स्थित है ।" परिमाण की दृष्टि से जम्बू द्वीप सबसे छोटा द्वीप है । विष्णु पुराण के अनुसार जम्बू द्वीप के मध्य में सुमेरु पर्वत, दक्षिण हिमवान् हेमकूट तथा निषध एवं उत्तर में नील, श्वेत तथा शृङ्गी पर्वतों की स्थिति मानी जाती है । 'सप्तद्वीप' सिद्धान्त के अतिरिक्त पुराणों में ही 'नवद्वीप' १. विमल चरण लाहा, प्राचीन भारत का ऐतिहासिक भूगोल, अनु० रामकृष्ण द्विवेदी, लखनऊ, १६७२, पृ० ४ २. Gupta, Anand Swarup Pauranic Heritage, (article), Purānam, Vol. XVIII, No. 1, Jan. 1976, p. 47 ३. विष्णु पुराण, २.२.१०, तथा सर्वानन्द पाठक, विष्णु पुराण का भारत, वाराणसी, १९६७, पृ० २२
SR No.023198
Book TitleJain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohan Chand
PublisherEastern Book Linkers
Publication Year1989
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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