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जैन संस्कृत महाकाव्यों में भारतीय समाज
विवाह कर लिया ।' दूसरे उल्लेख के अनुसार सत्यभामा का पुत्र भानु दुर्योधन की पुत्री उदधि के साथ विवाह करना चाहता था। दूसरी ओर प्रद्युम्न भी उदधि के सौन्दर्य से प्रभावित था। अतएव प्रद्यम्न वनेचर के वेश में उदधि को हर लाया। बाद में प्रद्युम्न ने अपना वास्तविक रूप दिखा कर उससे विवाह कर लिया।४ क्षत्रिय राजाओं में यह प्रथा थी कि वे प्रायः जिस कन्या पर अनुरक्त होते थे उसका अपहरण कर लेते थे । शान्तिनाथ चरित' में अनन्तवीर्य द्वारा कनकश्री का तथा चन्द्रप्रभ में राजा धरणीध्वज द्वारा शशिप्रभा का अपहरण करने की धमकी देने के उल्लेख भी प्राप्त होते हैं। अपहरण विवाह की मुख्य विशेषता यह थी कि इस विवाह से पूर्व या पश्चात् युद्ध अवश्य होता था क्योंकि अपहरणकर्ता प्रायः कन्या के पिता के विरुद्ध होने के कारण ही कन्याओं का अपहरण करते थे। प्रद्युम्नचरित के दोनों अपहरण विवाहों में युद्ध हुआ तथा अपहरणकर्ता को विजय भी मिली । शान्तिनाथचरित के अपहरण विवाह के अवसर पर भी राजकुमार अनन्तवीर्य तथा कनकश्री के पिता दमितारि के मध्य घोर युद्ध हुप्रा ।' चन्द्रप्रभ में युद्ध हुआ किन्तु धरणीध्वज युद्ध में हो मारा गया ।
प्रायः विवाहार्थ कन्यानों का अपहरण तो होता ही था कभी-कभी राज. कुमारों का भी अपहरण कर विवाह सम्पादित किए जाते थे। जयन्तविजय में
१. पार्थिवा नृपसता मण हृता तद्विमोचयत शक्तिरस्ति चेत् ।
-प्रद्युम्न० ३.११ रभ्यरैवतकसानुमण्डने देवनन्दननिभे वने तया। पाणिपीडनविधिविधानतः प्रौतयोरभवदग्निसन्निधौ ।।
-वही, ३.२७ २. वृद्धि गतो भानुरपि क्रमेण विवाहयोग्योपि बभूव पुण्यात् ।।
-वही, ६.२५७ मुयोधनस्योपधिनाम कन्यां वोढुं स वाञ्छत्यनुरोगपूर्वम् ।।
-वही, ६.२५८ ३. नेष्याम्यमुं स्वेष्टपदं च पश्चात् स्वेष्टानुसारी न मलिम्लुचोऽहम् ।
-वही, ६.३२४ ४. अभवदथ विवाहः कामरत्योस्तदानीम् । -वही, १०.७७ ५. शान्ति०, सर्ग ६ ६. चन्द्र०, सर्ग ६ ७. प्रद्युम्न०, सर्ग ३ तथा १० ८. शान्ति०, सर्ग ६ ६. चन्द्र०, सर्ग ६ .