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________________ शिक्षा, कला एवं ज्ञान-विज्ञान ४०६ सम्बन्धी कतिपय पृथक कर्मकाण्डों को छोड़कर ब्राह्मण संस्कृति एवं जैन संस्कृति की शैक्षिक धाराओं में कोई विशेष अन्तर नहीं था।' जैन शिक्षा परम्परा में भी वैदिक परम्परा की भांति वैदिक विषयों का अध्ययन आवश्यक था किन्तु जैन दर्शन एवं धर्म के ग्रन्थों के पठन-पाठन पर अधिक बल दिया जाता था।२ ब्राह्मण संस्कृति की शिक्षा पद्धति के अनुसार वेद-वेदाङ्गादि चौदह विद्यानों में पारंगत होना पड़ता था। इस परम्परा में बालक के समय-समय पर उपनयनादि विभिन्न संस्कार होते थे तथा समावर्तन संस्कार से शिक्षा समाप्ति मानी जाती थी। बौद्ध शिक्षा के मुख्य केन्द्र 'विहार' थे, तो जैन परम्परा की शिक्षा मठों आदि में प्राप्त की जाती थी। ब्राह्मण संस्कृति की शिक्षा के प्रचार करने वाले केन्द्रों में 'अग्रहार' नामक ग्राम होते थे ।६ ये ग्राम प्रायः राजारों द्वारा ब्राह्मणों को दान में दे दिए जाते थे। यहाँ ब्राह्मण निवास करते थे तथा छात्रों को पढ़ाते भी थे। विद्यारम्भ की आयु सीमा द्विसन्धान के अनुसार १६ वर्ष की आयु तक राजकुमारों द्वारा वर्णमाला ज्ञान तथा अङ्कगणित की शिक्षा सहित विद्याएं प्राप्त कर लेने के उल्लेख प्राप्त होते हैं तथा इस आयु तक उनके चूड़ाकरण संस्कार एवं यज्ञोपवीत संस्कार भी सम्पन्न हो जाते थे। अन्य महाकाव्यों में राजकुमारों की विद्यारम्भ की आयु का यद्यपि स्पष्ट उल्लेख नहीं हुआ है किन्तु विवाहावस्था से पूर्व प्रायः सभी राजकुमार विद्यार्जन तथा शास्त्राभ्यास आदि समाप्त कर लेते थे। पाश्वनाथचरित के अनुसार चूड़ाकरण संस्कार के उपरान्त बालक को विद्याभ्यास के लिए भेजा १. नेमिचन्द्र शास्त्री, प्रादिपुराण में प्रतिपादित भारत, प० २६१ २. वही, पृ० २७०-७२ ३. अल्तेकर, प्राचीन भारतीय शिक्षण पद्धति, पृ० २१३-१७ ४. वही, पृ० १७४ ५. द्वया०, १.७ ६. Thapar, Romila, A History of India, Vol, I, p. 176 तथा अल्तेकर, प्राचीन भारतीय शिक्षण पद्धति, पृ० १०७ ७. वही, पृ० १०७ ८. लिपि स संख्यामपि वृत्तचौलः समाप्य वृत्तोपनयः क्रमेण । ब्रह्माचरन् षोडशवर्षबद्धमादत्त विद्याः कृतवृद्धसेवः ।। -द्विस०, ३.२४, प्रद्यु०, ५.६३ ६. वराङ्ग०, २.६-७, चन्द्र०, ४.३-५
SR No.023198
Book TitleJain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohan Chand
PublisherEastern Book Linkers
Publication Year1989
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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