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________________ ३७२ जैन संस्कृत महाकाव्यों में भारतीय समाज द्वाश्रय में इनके द्वारा अनेक अवसरों पर शिवाराधना करने के उल्लेख मिलते हैं । ' सोमनाथ के शिव मन्दिर के दर्शनार्थी राजाओं में कुमारपाल तथा मन्त्रियों में वस्तुपाल आदि नाम विशेषरूप से उल्लेखनीय हैं । 3 वस्तुपाल द्वारा सोमनाथ के शिव मन्दिर में पूजा करने की सूचना मिलती है । हम्मीरमहाकाव्य में बौद्धों तथा छेकिलों के साथ शैवों का भी उल्लेख आया है । ५ इस प्रकार शैव सम्प्रदाय आलोच्य युग में एक लोकप्रिय सम्प्रदाय रहा था तथा राजनैतिक दृष्टि से भी इसको पर्याप्त महत्त्व दिया जाता था । वैष्णव सम्प्रदाय वैष्णव सम्प्रदाय में 'विष्णु' की आराधना का प्राधान्य था । विष्णु के विषय में राजा बलि को बन्धन में डालने, हय-ग्रीव का मुख फाड़ने, अनु, कंस तथा चाणूरमल आदि का वध करने की पौराणिक मान्यताएं समाज में लोकप्रिय थीं 18 इन्हीं मान्यताओं के आधार पर जैनाचार्य विष्णु के देवत्व की आलोचना भी करते थे । ७ द्वयाश्रय के अनुसार राजा जयसिंह ने विष्णु के दशों अवतारों की द्योतक प्रतिमाओं से युक्त एक विष्णु मन्दिर का भी निर्माण करवाया था। 5 इस प्रकार चालुक्य राजाओं के राजकाल में शैवधर्म के साथ वैष्णवधर्म भी लोकप्रिय रहा था । अनेक चालुक्य राजानों ने अन्य वैष्णव मन्दिरों का भी निर्माण करवाया। इस सम्बन्ध में कृष्णमूर्ति महोदय का मत है कि आलोच्य काल में शैव धर्म की तुलना में वैष्णव धर्मं कम लोकप्रिय था । शैव धर्म की पूजा विधि बहुत सरल थी किन्तु वैष्णव धर्म की पूजा विधि कर्मकाण्ड - प्रधान एवं जटिल बनती जा रही थी । १० सूर्योपासना तत्कालीन समाज में 'सूर्य' भी देवता के रूप में प्रतिष्ठित हो चुके १. द्वया०, ५.१३४-३७ २. Munshi, Glory that was Gurjara Desa, p. 360 ३. वस्तु०, ६.५३५-३६ ४. सोमेश्वरं तदानाचं मन्त्री नानाविधार्चनैः । - वस्तु०, ६.५३५ ५. हम्मीर०, ३.७२ ६. वराङ्ग०, २५.७७ ७. वही, २५.७८ ८. द्वया० १. ११६; Narang, Dvayāśraya, p. 228 Narang, Dvayāśraya, p. 228-29 ε. १०. Moorthy, Social & Eco. Conditions, p. 213
SR No.023198
Book TitleJain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohan Chand
PublisherEastern Book Linkers
Publication Year1989
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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