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________________ ३५८ जैन संस्कृत महाकाव्यों में भारतीय समाज (८) चक्षुष्मान (९) यशस्वी (१०) अभिचन्द्र (११) चन्द्राभ (१२) मरुदेव (१३) प्रसेनजित तथा (१४) नाभिराय।' इनके अतिरिक्त महापुराण एवं वराङ्गचरित प्रादि ग्रन्थों में ऋषभदेव तथा भरत को 'मनुमों' के रूप में परिगणित करते हुए कुल 'मनुओं' अथवा 'कुलकरों' की संख्या सोलह तक पहुंचा दी गई है। प्राचार्य श्री देशभूषण जी ने ऋषभदेव को पन्द्रहवें 'कुलकर' तथा उनके पुत्र भरत चक्रवर्ती को सोलहवें 'मनु' के रूप में प्रतिपादित किया है ।। त्रिषष्टिशलाकापुरुष ___ जैन पौराणिक मान्यताओं के अनुसार चौथे काल 'दुःषमा-सुषमा' के आधे भाग के बीत जाने पर क्रमशः ६३ शलाकापुरुष होते हैं। भोग भूमि के क्षय हो जाने के उपरान्त कर्मभूमि के लिए आवश्यक जीविकोपार्जन तथा जीवोद्धार करने के प्रयोजन से २४ 'तीर्थङ्कर' उत्पन्न होते हैं। इन्हीं तीर्थङ्करों' के समय में भरत आदि बारह 'चक्रवर्ती, नौ 'वासुदेव' नौ 'नारायण' तथा 'नौ 'प्रतिनारायण' भी जन्म लेते हैं। नौ 'नारायण' राजामों के शत्रु नौ 'प्रतिनारायण' कहलाते हैं जो एक दूसरे के समवर्ती भी होते हैं, जैसे खम का समवर्ती रावण तथा कृष्ण का समवर्ती जरासंध प्रादि । जैन महाकाव्यों में त्रिषष्टिशलाका पुरुषों का उल्लेख इस प्रकार पाया है : (क) चौबीस तीर्थङ्कर५-१. वृषभनाथ २. अजितप्रभु ३. संभव नाथ ४. अभिनन्दन नाथ ५. सुमति नाथ ६. पद्मप्रभ (पद्मभ) ७. सुपार्श्वनाथ ८. चन्द्रप्रभ ६. सुविधि नाथ (पुष्पदन्त) १०. शीतल नाथ ११. श्रेयांसनाथ १२. वासुपूज्य १३. विमल नाथ १४. अनन्तनाथ १५. धर्मनाथ १६. शान्तिनाथ १७. कुन्थुनाथ १८. अरनाथ १६. मल्लिनाथ २० सुव्रत २१. नमि २२. नेमिनाथ (अरिष्टनेमि) २३. पार्श्वनाथ तथा २४. वर्धमान महावीर । (ख) बारहू चक्रवर्ती -१. भरत २. सगर ३. मधवा ४. सनत्कुमार ५. शान्तिनाथ ६. कुन्थुनाथ ७. अरनाथ (अरहनाथ) ८. सुभौम ६. महापद्म १०. हरिषेण ११. जयसेन तथा १२. ब्रह्मदेव (ब्रह्मदत्त) १. वराङ्ग०, २७.३३.३६ २. महापुराण, ३.२३२ ३. वराङ्ग०. २७.३५-३६ तथा तु०-यशस्विनः षोडसभूमिपालास्त एव लोके __ मनवः प्रदिष्टाः । -वही, २७.३६ ४. शास्त्रसार समुच्चय, हिन्दी टीकाकार प्राचार्य श्री देशभूषण, पृ० १६ ५. वराङ्ग०, २७.३७-३६, पद्मा०, १.६७-७० ६. वराङ्ग०, २७.४०-४१, पद्मा०, १.७१-७२
SR No.023198
Book TitleJain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohan Chand
PublisherEastern Book Linkers
Publication Year1989
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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