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________________ युद्ध एवं सैन्य व्यवस्था १७५ परिघ, मयूखी, तथा शतध्नी-२० आयुधों को परिगणना की है।' पृथक् रूप से निर्दिष्ट 'खड्ग' भी अमुक्त आयुधों के अन्तर्गत ही समाविष्ट किया जा सकता है । जैन संस्कृत महाकाव्यों के अन्तर्गत निम्नलिखित अमुक्तवर्गीय आयुधों का उल्लेख माया है२६. खड्ग–संस्कृत साहित्य में खड्ग अर्थात् तलवार को असि, महा असि, आदि विभिन्न तामों से जाना जाता है । खड्ग से तात्पर्य बड़ी तलवार से है । उत्तम खड्ग की लम्बाई पचास अंगुल कही गई है।४ 'लक्षणप्रकाश' के अनुसार 'उत्तम' 'मध्यम' तथा 'साधारण' खड्ग क्रमशः पचास इंच तथा छत्तीस इंच के होते थे ।५ नीतिप्रकाशिका में तलवार के आठ नाम इस प्रकार दिए गए हैं-(१) असि, (२) विशसन, (३) खड्ग, (४) तीक्ष्णधर्मा, (५) दुरासद, (६) श्रीगर्भ, (७) विजय, तथा (८) धर्ममाल ।६ 'निस्त्रिश' छोटी तलवार होती थी जिसका अग्रभाग वक्र रहता था। खड्ग सदृश अन्य प्रायुध-जैन संस्कृत महाकाव्यों में खड्ग सदृश प्रायः लघु प्राकृति के अन्य शस्त्रों के नाम इस प्रकार वरिणत हैं३०. कृपाण -तलवार के आकार की, किन्तु परिमाण में छोटी, कमर में लटकाई जाती थी। ३१. क्षुरिका -छुरी, इसे 'असिपुत्रिका' भी कहा जाता था। ३२. शस्त्री०–कटारी। ३३. वज्र -वज्र आयुध दधीचि की अस्थियों से निर्मित दिव्य अस्त्र के रूप में प्रसिद्ध है। प्रयोग काल में इसकी घोर गर्जना होने का प्रायः वर्णन १. नीति०, २.१६.२० २. वराङ्ग०, १४.६, द्विस० ६.२७ प्रधु०, ६.६६, चन्द्र०, ६.१०६ कीर्ति०, ५.३२१ जयन्त०, १०.७३. हम्मीर०, १३.२२२ ३. Hopkins, J. A. 0. S., Vol. 13, p. 285 ४. Dikshitar, War in Ancient India, p. 117 ५. वही, पृ० ११८ ६. नीति० ३.३६-३७ ७. Hopkins, J.A.O.S., Vol. 13, p. 286 ८. जयन्त०, १०.६५, १४.१०१; हम्मीर०, १०.४३, सनत्कुमार०, १०.७४ ६. सनत्कुमार०, २१.७३ १०. द्विस०,१८.२० ११. हम्मीर०, ३.११८
SR No.023198
Book TitleJain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohan Chand
PublisherEastern Book Linkers
Publication Year1989
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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