SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 156
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन संस्कृत महाकाव्यों में भारतीय समाज निपुण होते थे।' भेद की नीति को व्यावहारिक रूप देने के लिए भी गुप्तचरों का विशेष महत्त्व था ।२ गुप्तचरों के रूप में वेश्याओं को भी नियुक्त किया जाता था। ६. दूत-दूसरे राजा तक किसी भी प्रकार के सन्देशवाहक का कार्य दूत ही करते थे ।५ दूत राजनीति-शास्त्र में विशेष दक्ष होते थे,६ तथा वाक्चातुरी इनकी उल्लेखनीय विशेषता थी। ७. अङ्गरक्षक-राजा के समीप रहने वाला कर्मचारी-यह विश्वासपात्र कर्मचारी होता था जिस पर राजा की सुरक्षा का पूरा दायित्व रहता था। ८. सूत ० --- राजा की काव्यात्मक शैली से स्तुति करने वाला कर्मचारी।।१ इसे 'बन्दिजन' भी कहा जाता था।१२ ६. कुब्ज13 (कुबड़ा)-अन्तःपुर में राजकुमारों की सेवा-शुश्रूषा के निमित्त नियुक्त किया गया कर्मचारी ।१४ संभवतः राजकुमारों का मनोरञ्जन करने आदि १. तु०-कृषीवलं कृषिभुवि वल्लवं बहिर्वनेचरं चरमट्वीष्वभुङ्क्तयः । वणिग्जनं पुरसीम्नि योगिनं नियोगिनं नृपसुत बन्धुमंत्रिषु । -द्विस०, २.१६ २. तु०-कथितारि-विचारेण, चारेण प्रेरितस्ततः,। -कीर्ति०, ५.१ ३. तु०-एवमाज्ञापयामास वेश्याश्चातुर्यशालिनीः । ___मुनिवेषेण गत्वाङ्गस्पर्शेर्नवनवोक्तिभिः। -परि०, १.४२-४३ ४. वरांग०, १६.११, चन्द्र०, १२.५ ५. तु.-लेखेन साम्ना रहितेन तेन सम्प्रेषयामास स दूतवर्यम् । -वराङ्ग०, १६.१०, १६.६६ ६. तु०-वदतीति भवन्तमक्षतप्रणयं दूतमुखा हि पार्थिवाः । -चन्द्र०, १२.५ ७. तु०-इति भाषिण एव भारती रिपुदूतस्य । -चन्द्र०, १२.२५ ८. तु०-श्रीयकस्त्वगरक्षोऽभूद्भरिविश्रम्भभाजनम् । -परि०, ८.१० ६. वही, ८.१० १०. द्विस०, ४.२२, ५.५६ ११. तु०-सूता नृपाणां युधि नामधेयं वृत्तं निपेठुः कृतवृत्तबन्धम् । -द्विस०, ५.५६ १२. तु०-अपाठिषुर्बन्दिजनाः -हम्मीर०, ८.८० १३. द्विस० ३.१५, ३.२१, तथा तु०-ततो वाम निकाः कुब्जा धात्र्यः सपरिचारिकाः । -वराङ्ग०, १५.३६ १४. तु०-दिनानि लब्ध्वा ववृधे शशीव कुब्जानवष्टभ्य विचक्रमे च । -द्विस०, ३.२१
SR No.023198
Book TitleJain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohan Chand
PublisherEastern Book Linkers
Publication Year1989
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy