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________________ १०८ जैन संस्कृत महाकाव्यों में भारतीय समाज प्रस्तुत दृष्टान्त एक विरल दृष्टान्त के रूप में प्राचीन पशु-दण्डविधान सम्बन्धी क्रूर प्रक्रिया पर महत्त्वपूर्ण प्रकाश डालता है । अपराध पुष्टि की न्यायालयीय प्रक्रिया राज दरबार में पारस्परिक कलहों का निर्णय होता था । दरबार में दोनों पक्षों के लोग उपस्थित होते थे । इन दोनों पक्षों के अपने अपने साक्षी भी पैरवी के लिए जाते थे । २ पुत्र आदि अर्पण करने के अवसरों पर भी साक्षियों को सामने रखने की प्रथा थी । राजा के निर्णय करने से पूर्व सम्बद्ध व्यक्ति भी अपने विचार प्रकट कर सकता था तथा राजा को परामर्श आदि भी दे सकता था । पार्श्वनाथचरित में कमठ द्वारा अपने छोटे भाई की पत्नी के साथ किए गए दुराचार की राजकर्मचारियों ने सूचना दी थी किन्तु मरुभूति का इस सम्बन्ध में विचार था कि यद्यपि राजकर्मचारी झूठ नहीं बोल सकते तथापि प्रायः प्रत्यक्ष घटित होने वाली घटनाएं भी प्रसत्य हो जाती हैं तो स्त्री के साथ एकान्त में किए गए व्यभिचार के लिए अभियुक्त कमठ को ही कैसे दोषी पाया जा सकता है । अतः सत्य के उद्घाटनार्थ और अधिक प्रयत्न किए जाने चाहिएं तदनन्तर ही दोषी को दण्ड दिया जाना चाहिए । मरुभूति की उक्त सम्मति का राजा ने स्वागत किया तथा और अधिक छान-बीन करने के उपरान्त दोषी सिद्ध हुए कमठ को गधे पर बिठाकर तिरस्कार पूर्वक नगर निर्वासन का दण्ड दिया । ४ अपराधी व्यक्ति ने यदि पहले कभी राजा के प्रति उपकार किया हो तो उसे क्षमा दान भी दिया जा सकता था । शासन व्यवस्था के उच्चाधिकारी (क) केन्द्रीय शासन व्यवस्था जैन संस्कृत महाकाव्यों में शासन व्यवस्था सम्बन्धी विभिन्न पदों को मुख्य रूप से तीन भागों में विभक्त किया जा सकता है— (क) केन्द्रीय शासन, (ख) प्रान्तीय शासन से सम्बद्ध उच्चाधिकारी तथा ( ग ) ग्राम प्रशासन के अधिकारी । गुप्तकालीन शासन व्यवस्था में प्रचलित अनेक 'पद' श्रालोच्य युग में तथैव १. तु० - पक्षयोरुभयोरेवमुच्चैर्विवदमानयोः । लोकवादीदमुं वादं राजा निर्धारयिष्यति ॥ परि०, १२.१०५ २ . वही, १२.१०६ ३. ततश्च साक्षिणः कृत्वा सनिर्वेदं सुनन्दया । — वही, १२.४४ ४. पार्श्व०, २.५०-६० ५. परि०, १.२२१
SR No.023198
Book TitleJain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohan Chand
PublisherEastern Book Linkers
Publication Year1989
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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