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________________ राजनैतिक शासन तन्त्र एवं राज्य व्यवस्था १०७ रूप-लावण्य पर आकृष्ट होकर व्यभिचार करने का उल्लेख भी प्राप्त होता है । राजा ने कमठ को इस कुकृत्य के लिए नगर-निर्वासन का दण्ड दिया।' राज षड्यन्त्र राजारों के राज्य में प्रायः षड्यंत्रों की योजनाएं भी बनाई जाती थीं। वराङ्गचरित में स्वयं रानी तथा मंत्री भावी उत्तराधिकारी राजकुमार को छलकपट द्वारा नष्ट करने की योजनाओं के सूत्रधार थे। किन्तु इस षड्यन्त्र की सूचना राजा तक नहीं पहुंच पाई थी।२ हेमचन्द्र के परिशिष्टपर्व में राजा नन्द को कल्पक के राजषड्यन्त्र की गुप्तचरों द्वारा पहले ही सूचना मिल गई थी। राजषड्यन्त्र के बदले में षड्यन्त्रकर्ता कल्पक को सपरिवार गहरे कुएं में डाल दिया गया। जूमा खेलना समाज में जूमा खेलना भी बहुत प्रचलित था। राज दरबार में भी जूमा खेलने की प्रथा थी। प्रायः जुए में कपटपूर्वक व्यवहार भी होते थे। जुआरियों में पारस्परिक वैमनस्य होने का उल्लेख भी प्राप्त होता है। जुमारियों के झगड़ों में अस्त्रों द्वारा मार पिटाई भी की जाती थी। पशु दण्ड-व्यवस्था यशोधरचरित में तत्कालीन समाज में प्रचलित पशु-दण्ड विधान की ओर भी संकेत किया गया है। किसी एक भैंसे द्वारा राजा के घोड़े को मार दिया गया था । इस अपराध के लिए राजा की ओर से भैंसे को दण्ड दिया गया। दण्ड देने के प्रयोजन से भैसे के चारों पैरों को भूमि में गाढ़कर नमक मिले उष्ण जल से नहलाया गया। तदनन्तर उसे उल्टा कर अग्नि में जला दिया गया । पशु-दण्डविधान का mm १. पार्श्व०, २.१-६० २. वराङ्ग०, १२.१-४० ३. परि०, ७ ९८-१०० ४. कीर्ति०, ६.६, परि०, १.२४७ तथा ८.३५२-५४ ५. परि०, ८.३५२-५५ ६. तु०-चन्द्रगुप्तगुरुः कूटपाशकैस्तु जिगाय तान् । –परि०, ८.३५५ ७. तु०-संजातद्यूतकलहे सद्योऽस्त्रेण न्यहन्यत् ॥ -परि०, १.२७४ ८. तु०-कीलितेषु चरणेषु चतुर्पु क्षारवारिपरिशोषितकुक्षिम् । ऊर्वजानुमदहन्नृपभृत्यास्ते कृपाविरहिणो महिषं तम् ।। -यशो०, ३.७०
SR No.023198
Book TitleJain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohan Chand
PublisherEastern Book Linkers
Publication Year1989
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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