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चाहिये, माधुर्य की नहीं । इसी प्रकार प्रसाद में भी माधुर्य की अभिव्यक्ति नहीं होती। अतः माधुर्य को श्रुतिप्रिय शब्दों का गुण कहना उचित नहीं है। ____ माधुर्य, मात्र सम्भोग शृगार में ही नहीं रहता अपितु करुण, विप्रलम्भ तथा शान्त में भी रहता है । सम्भोग शृगार की अपेक्षा करुण में माधुर्य अधिक होता है। करुण की अपेक्षा विप्रलम्भ में तथा विप्रलम्भ की अपेक्षा शान्त रस में अधिक माधुर्य होता है, सहृदयों के अनुभव के अनुसार संभोग शृगार की अपेक्षा करुण आदि में क्रमशः चित्तः की द्रुति अधिक होती है। अतएव वह द्रुति आँसू तथा पुलकावली के द्वारा स्पष्ट होती है ।
प्रोज
दीप्ति रूप चित्त के विस्तार के हेतु को अोज गुण कहते हैं । यह वीर रस में तथा वीर रस की अपेक्षा बीभत्स में तथा बीभत्स की अपेक्षा रौद्र में अधिक रूप में प्राप्त होता है ।१ तात्पर्य यह है कि वीर रस में तो द्वष्य के प्रति जीतने की इच्छा मात्र होती है, बीभत्स में जुगुप्सित विषय के प्रति प्रबल त्याग की इच्छा होती है तथा रौद्र
१. का. प्र. ८/६९-७० पूर्वार्ध ।
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