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१. साक्षात् रसभावादि के अपकर्षक । २. रसोपकारक वाच्य । ३. रसादि तथा अर्थ के उपकारक पद, वाक्य, वर्ण,
रचना आदि के अपकर्षक । पदगत दोष
प्राचार्य मम्मट ने काव्य के दोषों का वर्णन करते हुए १६ पदगत दोषों का सोदाहरण विवेचन प्रस्तुत किया है
१. श्रुतिकटु २. च्युतसंस्कृति ३. अप्रयुक्त ४. असमर्थ ५. निहतार्थ ६. अनुचितार्थ ७. निरर्थक ८. अवाचक ६. बीड़ा, निन्दा और अमंगल का अश्लील १०. सन्दिग्ध ११. अप्रतीत १२. ग्राम्य १३. नेयार्थ (जो केवल पदगत
और समासगत भी हुआ करते हैं) १४. क्लिष्ट १५. अविमृष्टविधेयांश १६. विरुद्धमतिकृत (जो मात्र समासगत ही होते हैं)।
वाक्यगत दोष
पूर्वकथित पदगत दोषों में से च्युतसंस्कृति, असमर्थ तथा निरर्थक को छोड़कर शेष तेरह दोष वाक्यों में तथा कुछ पदांश में भी होते हैं।