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________________ २० . ] गौतमचरित्र । ॥ ९४ ॥ मद्यका त्याग करनेवालोंको दूध छाछ मिले हुए, दो दिन रक्खे हुए दही, छाछ, कांजी और चलितरस अन्न इन सब चीजों का साग कर देना चाहिये || १५ || इसीप्रकार मांसका साग करनेवालों को चमड़ेमें रक्खा हुआ घो, दूध, तैल, पुष्प, शाक, मक्खन, कंदमूल, और वीधा (घुना ) अन्न कभी नहीं खाना चाहिये ॥ ९६ ॥ धर्मात्मा लोगोंको वेंगन, सूरण, हींग, अदरक, और विना छना पानी वा दूध कभी ग्रहण नहीं करना चाहिये । इनका सर्वथा त्याग कर देना चाहिये ॥९७॥ रमास, उड़द, मूंग, सुपारी आदि फलोंको विना तोड़े नहीं खाना चाहिये तथा अज्ञात फलोंका भी सर्वथा त्याग कर देना चाहिये || ९८ || इसीप्रकार बुद्धिमान लोगों को शहतका भी सर्वथा साग कर देना चाहिये। क्योंकि शतके निकालने में अनेक जीवोंका घात होता है, अनेक मक्खियोंका रुचिर उसमें मिला रहता है और इसीलिये वह लोकमें भी अत्यंत निंदनीय गिना जाता है ॥ ९९ ॥ इनके सिवाय देशव्रती श्रावकों को दर्शन, व्रत, सामायिक, प्रोषधोत्यागैः सहोदुंबर पंचकैः । अष्टौ मूलगुणाः प्रोक्ताः पाल्यं ते गृहमेधिभिः ॥९४॥ दुग्धतकपरिक्षिना दधितकं दिनद्वयम् । कांजिक विरसं चान्न न ग्राह्यं मद्यवभिः || ९५ ॥ चर्मघृतपयस्तैलं पुप्पशाकं नवाज्यकम् | कंदमूलं च विद्वान्नं न सेव्यं मांसवर्जितैः ॥ ९६ ॥ वृत्ताक सूरणं चैव हिंगुकं शृंगवेरकम् । अगालितपयःपानं हीयते धर्मबुद्धिभिः ॥९७॥ कौशिकामा मुद्रादेः फलमज्ञातनामकम् । अनि फल्पूगादिफलं सद्भिन गृह्यने ॥ ९ ८ || जीवनिधनसंभूतं मक्षिका रुधिरान्तिम् ।
SR No.023183
Book TitleGautam Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchandra Mandalacharya, Lalaram Shastri
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1926
Total Pages214
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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