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* तृतीय सगे
२१३ रहेगी। व्यापारमें तो हानि भी हो सकती है। आपके रत्न मेरे पास प्राणसे भी अधिक सुरक्षित रहेंगे। और आप जिस समय मांगेंगे, उस समय मैं उन्हें वापस कर दूंगा।” धनमित्रको जौहरोको यह सलाह बहुत अच्छी लगी। उसने सोचा कि व्यापारमें परिश्रम करनेपर भी हानि होनेकी संभावना रहती है; किन्तु इसमें हानिकी कोई बात नहीं। तीनों रत्न भी इस प्रकार सुरक्षित रहेंगे और व्याजसे मेरा खर्च भी चलेगा।" यह सोचकर उसने उसी समय अपने तीनों रत्न जौहरोको सौंप दिये । इसके बाद जौहरी प्रतिमास व्याजके रूपमें उसे एक बड़ी रकम देने लगा और धनमित्र उससे चैनकी वंशी बजाने लगा। अब वह नगरमें स्वतन्त्र विचरण करता हुआ आनन्द पूर्वक अपना समय व्यतीत करने लगा। ___ ऐसे निरुद्यमी और भाग्यके आधारपर बैठ रहनेवाले लोगोंके सम्बन्धमें एक बहुत ही अच्छा दृष्टान्त प्रलवित है। वह दृष्टान्त इस प्रकार है:
किसी जगह टोकरोमें एक सांप बन्द पड़ा हुआ उसमें रहते रहते ऊब उठा था और क्षुधाके कारण अपने जीवनसे भी हताश हो रहा था। उसे अपने छुटकारेको कोई आशा न थी। इसी समय एक चूहेने समझा कि इस टोकरोमें कोई खाने योग्य पदार्थ है, अतएव उसने उसमें छेद कर अन्दर प्रवेश किया। अन्दर प्रवेश करते हो उसे सांप पकड़कर खा गया। इस प्रकार अनायास ही सांपकी क्षुधा शान्त हो गयी। इसके बाद चूहेके बनाये हुए