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कल्पान्तर्वाच्यः ]
त्रयः समितयः
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दग-घट्ट तिण्णि-सत्त व उडुवासासु न हणंति तं खित्तं । चउरट्ठाइ हणंति जंघ-द्विक्को अवरेण ॥६८५॥ आयामए त्ति..... . आयामाइ सुच्छ्रुत्ती कायव्वा नेव जेण अच्छत्ती। अमली नामा देवी साऽणेग-ट्ठाण-वासहरा ।।६८६॥ अणेगट्ठाण सुसाणे मच्छाइ-मरण-संभव-नई। जह य पवित्तं नीरं पवित्ता तह इमा नेया।।६८७॥ पोहीसकोरवच्छग मिगनाहि-पट्टकूलगाणि इह। कुतुपाइ-घयणाहर बद्धसुप्पकरवत्तयाई।।६८८॥ कंबल-गोरोयण-करि-दंत-नहज बाहि से घर-खजूरा।
दीवाइ गुड-पमुहा एसिं छुत्ती न किज्जइ य॥६६॥ उक्तं च
वुट्ट य घुग्घरीबक्कला य अण्णं पि अद्धसिद्धं वा।
जह होइ इह न छुती तज्जलमवसामणाइ तहा।।६६०॥ निरीथ भाष्ये....५३६ गाथा
उस्सेयम संसेयम तंदुल तिल तुस जवोदगाऽऽयाम । सोवीर सुद्ध-वियडं अंबय अंबाडग कविटुं । ६६१॥ माउलिंग-दक्ख-दाडिम-खजूर-नालियर-कयर-बोरजलं।
आमलगं चिंचा पाणगाइ पढमंग-भणियाई॥६६२॥ श्री आचाराने...
इच्चाइ-बहु-वत्तव्वं अत्यि सत्ये वियाणिया। माही लेह मुहरसाया दियरेसिं जरवाणियं ॥६६३॥ सड जण जोइय घय भत्तं गुरु जोइयं च चूरमिगं। गिण्हाविंति य गुरवो साहूणं निविगइंयमि ।। ६६४॥ जीहा लोल वसाओ नीरसमवसावणाइ नीरं च। असणाहारतया जे पभणंति का गई तेसिं ॥६६५॥ तिदंडोगालियं गिझं उण्हं नो य कवोसणं। नीरं च मिस्स-दोसाओ ओहणिज्जुत्ति-भासणा॥६६६॥