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________________ कल्पान्तर्वाच्यः ] आर्यरक्षाकः इच्चाइ वित्थरो बहू नायव्वो अण्ण-गंथओ सव्वो। तयणु सिरिवज्जसेणो सोपारे पट्टणे पत्तो।। ६६१ ॥ जिणदत्त-सड्ड-गेहे दटुं लक्ख-दव्व-मुल्ल-पक्कऽण्णं । तत्थ विसं खिप्पंतं वारियं वजसामि-वया ।। ६६२॥ पर-दीव-धण्ण-भरिया-पभाए आगया बहु-पोया। तत्थ सुभिक्खं जायं पत्तो वेरग्गयं सिट्ठी ।। ६६३॥ नागिंदाइ चउ-पुत्ता ईसरी-भारिया-समेओ य। पव्वज्जं संपत्तो वयरसेण-प्पसायाओ॥६६४ ॥ ___इति श्री वज्रस्वामि-सम्बन्धः।। थेरस्स णं अज-नक्खत्तस्स कासवगुत्तस्स अज्जरक्खे थेरे अंतेवासी कासवगत्ते॥२२॥ थेरस्स णं अज्जरक्खस्स कासवगुत्तस्स अजनागे थेरे अंतेवासी गोअम-सगुत्ते ।।२३॥ माया य रुद्दसोमा पिया य नामेण सोमदेवु ति। भाया य फग्गुरक्खिय तोसलि-पुत्ता य आयरिया ।। ६६५॥ निजावण-भद्दगुत्तो वीसं पढणं च तस्स पुव्वगयं। पव्वाविओ य भाया रक्खिय-खमणेहिं जणओ य॥६६६॥ दसपुर-नयर-पुरोहिय-सोमदेव-रुद्दसोम सुओ य। अज्जरक्खियो विदेसे चउदसविता भणित्ताणं ।। ६६७॥ संपत्तो निय-नयरे रायकयाडंबरजुओ गओ गेहे । माउचलणेसु पडिओ न सायरं कुणइ ताहे सो॥६६८॥ पुट्ठा माया पभणइ दिट्टिवायं पढिय किं तुमं पत्तो। जेण महं संतोसो चिंतइ नामं पि सुपसत्यं ।। ६६६॥ कत्थत्थि दिट्ठिवाओ सा भणइ इच्छुवाड-मझंमि। तोसलिपुत्तायरिओ चिट्ठइ तुह माउलो सो यं ।। ६७०॥ पुच्छित्ता जा गच्छइ मग्गे नव इक्खुखंड संजुत्तो। मिलिओ विप्पो पवरं वियारिऊणं च तत्थ गओ ।। ६७१॥ ढड्डर-सावय-जुत्तो दिट्ठो गुरुणा कओ तुमं पुट्ठो। . पढणत्थं दिट्टिवायं अम-सरिसो होसि सो जाओ।। ६७२ ॥
SR No.023172
Book TitleKalpantarvcahya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPradyumnasuri
PublisherSharadaben Chimanbhai Educational Research Centre
Publication Year1997
Total Pages132
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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