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________________ ( ४४ ) श्रीपश्रोत्तरपदीपे. उत्तर-श्रीप्रज्ञापनासूत्रवृत्तिमां चक्रवर्ती, वासुदेव प्रमुख मनुष्योने पण केटलाक व्यन्तर देवो नोकरनी माफक सेवे छे एम कयुं छे. ___ तथाचतत्पाठः “ मनुष्पानपिचक्रवर्तिवासुदेवप्रभृतिन्भृत्यवंदुपचरन्तिकेचिद्व्यन्तराः" तथा श्रीतीर्थोद्गारप्रकीर्णकमां वासुदेवना सघळा काममा आठहजार अभियोगदेवो (सेवकदेवो) कह्याछे. तथाचतत्पाठः " अठ्ठयदेवसहस्साअभियोगासबकज्जेसुइत्यादि " ___ उक्त बन्ने पाठपरथी सिद्ध थायछे के वासुदेवोनी आठहजार देवो सेवा करेछे. १६ प्रश्न-वासुदेवो क्यांना आव्या थाय छे. उत्तर-पहेली, अने बीजी नरक पृथ्वीना आव्या तथा वारदेव लोक, नवग्रैवेयकना आव्या वासुदेवो थायछे. एवो संग्रहणीममुखशास्त्रनो अभिप्रायछे. अने श्रीमहानिशीथसूत्रना पांचमा अध्ययनमा कुवलयप्रभाचार्यना व्यन्तरादिकभव गणाव्या छे तेमां छठो भव मनुष्यनो अने सातमोभव वा- सुदेवनों गणाव्यो छे, ते मतान्तर छे. ...... १७ प्रश्न-वासुदेवने केटली स्वीओ कही छे. उत्तर-श्रीअन्तकृतदशा तथा प्रश्नव्याकरणसूत्रमा श्रीकृष्णमहाराजने रुक्मिणीप्रमुख १६००० स्त्रीओ कहेलीछे, तेमज श्रीअ
SR No.023171
Book TitleTrigranth Samuchhay Prashnottar Pradip Paryushanashthnika Vyakhyan Panchjin Stuti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshmivijay
PublisherBhogilal Kalidas Shah
Publication Year1909
Total Pages250
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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