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________________ ( ५ ) प्रथमः प्रकाशः १० प्रश्न - गृहस्थोने हमशां छ कार्योकरवानां कयां ? उत्तर - देवपूजा, गुरुसेवा, स्वाध्याय, संयम, तप, अने दान, ए छ कार्यो गृहस्थोने हमेशां करवानां. यदुक्तम्. “ देवपूजागुरूपास्तिःस्वाध्यायः संयमस्तपः ॥ दानञ्चेतिगृहस्थानांषद कार्याणिदिनेदिने ॥ १ ॥ " ११ प्रश्न - जैनसाधुओ जे भावरूप आठ उत्तम पुष्पोए करी श्रीदेवाधिदेवनी निरवद्यपूजा करे छे, ते आठ पुष्पो कयां ? उत्तर-- पहेलुं अहिंसारूपभावपुष्प. बीजुं सत्यरूपभाव पुष्प. त्रीजुं अस्तेय (चोरीनो अभाव ) ते रूपभाव पुष्प. चोथुं ब्रह्मचर्य - रूपभावपुष्प. पांचमुं असङ्गता (परिग्रहनो त्याग ) ते रूपभाव पुष्प. छटुं गुरुभक्तिरूपभावपुष्प. सातमुं तपरूपभावपुष्प. अने आठमुं ज्ञानरूपभावपुष्प ए भावरूप आठ उत्तम पुष्पो जाणवां. यदुक्तंपूजाष्टके अहिंसा सत्यमस्तेयं ब्रह्मचर्यमसङ्गता ॥ गुरुभक्तिस्तपोज्ञानंसत्पुष्पाणिचचक्षते ॥ १ ॥ " १२ प्रश्न - कोई गुरुमहाराजे दण्डमहारे मार्यो थको कोई शिष्य तत्काळ केवळंज्ञान पाम्यो छे ? उत्तर - हा, चण्डरुद्राचार्य नामना गुरुए दण्डप्रहारे ताड़ना कर्यो
SR No.023171
Book TitleTrigranth Samuchhay Prashnottar Pradip Paryushanashthnika Vyakhyan Panchjin Stuti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshmivijay
PublisherBhogilal Kalidas Shah
Publication Year1909
Total Pages250
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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