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________________ ( २१ ) इ १३ बार व्रतनी पूंजामां " चार दिशा विमला तमारे " त्यादिक० त्यां " विमलातमा " एटले शुं ? १५५ १५३ १४ पौषधमध्ये भोजन कराय एवा अक्षरो क्यांइ छे ?.... १५४ १५ आयबीलमां हलदर कल्पे के केम ? १५४ १६ शंबूकावर्त्त फोडवांनहीं त्यां" शंबूकावर्त्त " शब्दे शुंसमजनुं ? १५४ १७ चक्षुहीन माणसने केवलज्ञान उपजे ? १५५ १८ हालमां सुधरेल केटलाक श्रावको श्री देरासरमां पण उतरासंग नथी राखता तेनुं शुं कारण ? १९ त्रण उभरावडे अचित्त थपलं उष्णजल गळ्याविना पीवुं कल्पे के कम ? २० कोइ गृहस्थ एकाशनादि तप कर्या विना उनुं पाणी पीए छे ते पाणसना आगार ले ? ..... १५५ २१ चोमासानी अठ्ठाइओ क्यांथी क्यां सुधी जाणवी ?.... १५५ २२ अचक्षुदर्शनमां स्वप्रदर्शननो अन्तरभाव थाय ? २३ संप्रतिकाले जीव ऊर्ध्वगतिमां तथा अधोगतिमां जाय तो १५५ १५५ 0908 .... .... .... .... .... .... .... .... .... .... क्यां सुधी जाय ? २४ लेश्या कया कर्म मध्ये गणवी ? २५ कार्मणशरीरनुं स्वरूप केवी रीते समजवुं ? २६ कया आचार्यनी साथै पूर्वनो व्यव छेद थयो ? २७. श्री हेमचन्द्रसूरिजीनो जन्मादिकाल कयो ? २८ संक्षेपसामायिकनुं स्वरूप दृष्टान्त साथ कहो ? २९ प्राणवायु वीगेरे पांच वायु शरीरमां क्यों रहे छे ?.... ३० नव प्रकारे रोगोत्पत्ति थाय छे ते नव प्रकार कया ? ३१ उत्तम वैद्य केवा लक्षणवाळो होय ! ३२ धन्वन्तरिसमान होय तो पण पांच बैयन शोभे ते कया ? १६२ १६० १६१ .... .... .... .... .... .... **** १५६ १५६ १५७ १५७ १५७ १५७ १५९
SR No.023171
Book TitleTrigranth Samuchhay Prashnottar Pradip Paryushanashthnika Vyakhyan Panchjin Stuti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshmivijay
PublisherBhogilal Kalidas Shah
Publication Year1909
Total Pages250
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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