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________________ (२०) ४२ ".दिवाकीर्ति" शब्दे शुं समजवु ? .... ... १४० ४३ " यक्षमईम" कोने कहीर ? .... ४४ “कर्णीरथ " एटले शुं ? .... .... .... १४१ ४५ सौचधर्माधिकारिओने अत्यन्तमलिनदेहआत्मानुं निर्मल पणुपोतानीबुद्धिएकल्पेलतीर्थादिजलस्नानकरोनेजथायछे ?१४२ पञ्चमःप्रकाशः १ रात्रिए देवपूजादि शुभकार्य थाय ? .... .... १४७ २ मर्त्यलोकनो दुर्गध उंचो क्यां सुधी जतो हशे? .... १४७ ३ मानुषोत्तरपर्वत अभ्यन्तरपुष्करवरद्वीपना अर्द्धमां छे, के वाह्य पुष्करवर द्वीपना अर्द्धमां छे. के बेनी मध्ये छे ?.... १४८ ४ जम्बूद्वीपपट्टादिकमांमहाहिभवानवर्षधरपर्वतपीतवर्णशाथीछे? १४८ ५ पंचशत योजन पहोळा गजदंत गिरिपर सहस्र योजन पहो लो सहस्रकुट शीरीते रह्यो ? .... .... १४९ ६ पांचमा आराने अंते वैताढयपर्वतपर विद्याधरो अनेतेओना नगरो रहेशे के केम ? .... .... १४९ ७ जम्बूद्वीपनी जगतीनो " गवाक्षवलय " जगतीनी भीत मध्यगत छे के जगतीना उपर छे ? .... .... १५० ८ औषध, अने भेषना कंड तफावत हशे? .... १५० ९ श्रावक कोनीकोनी साथे व्यापार न करे ते कहो ?.... १५१ १० मुनिआश्रि चार प्रकारना श्रावक कह्या छे ते कया?.... १५१ ११ गृहस्थने पांच भूना दोष कह्या छे ते कया ? अने सू. ना शब्दे करी शुं समजQ ? .... .... .... १५३ १२ जेम कोइने गृहस्थवषे केवलज्ञान उपजे छे तेम मनःपर्या यज्ञान उपजे के केम? .... ......... १५१
SR No.023171
Book TitleTrigranth Samuchhay Prashnottar Pradip Paryushanashthnika Vyakhyan Panchjin Stuti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshmivijay
PublisherBhogilal Kalidas Shah
Publication Year1909
Total Pages250
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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