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________________ (२८०) का कारण पूछा । तो मुनिराजने स्पष्ट कहा कि, 'हे राजन् ! इस बालकको रोग आदि तथा अन्य कोई भी पीडा नहीं. इसको तुम जिन-प्रतिमाका दर्शन कराओ तब यह अभी दूध पानादि करेगा"। मुनिराजके बचनानुसार बालकको जिनमंदिरमें ले जा दर्शन नमस्कार आदि कराया। पश्चात् वह पूर्वानुसार दूध पीने लगा, जिससे सब लोगोंको आश्चर्य व संतोष हुआ। राजाने पुनः मुनिराजसे पूछा कि, " यह क्या चमत्कार है ? " मुनिराजने कहा- हे राजन् ! तुझे यह बात इसके पूर्वजन्मसे लेकर कहता हूं, सुन! जिसमें निंद्यपुरुष थोडे और उत्तमपुरुष बहुत ऐसी पुरिका नाम नगरीमें दीनजीव पर दया और शत्रु पर कूरदृष्टि रखनेवाला कृप नामक राजा था. उसका बृहस्पति के समान बुद्धिमान चित्रमति नामक मंत्री था; और कुबेरके समान समृद्धिशाली वसुमित्र नामक श्रेष्ठी उस मंत्रीका मित्र था. नाम ही से एक अक्षर कम, परन्तु ऋद्धिसे बराबर ऐसा सुमित्र नामक एक धनाढ्य वणिकपुत्र वसुमित्रका मित्र था. वणिक्पुत्र भी अनुक्रमसे श्रेष्ठीकी बराबरीका अथवा उसकी अपेक्षा अधिक उच्च भी होता है. उत्तमकुलमें जन्म लेनेसे पुत्रके समान मान्य ऐसा एक धन्य नामक सुमित्रका सेवक था. वह धन्य एक दिन स्नान करनेके लिये सरोवर पर गया. उत्तम कमल, सुन्दर शोभा और निर्मल जल वाले उस सरोवरमें हाथीक
SR No.023155
Book TitleShraddh Vidhi Hindi Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnashekharsuri
PublisherJainamrut Samiti
Publication Year1930
Total Pages820
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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