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________________ (२५९) वस्तु के अवयव का अंशमात्र देखनेसे वस्तुका पूर्ण आकार चित्रित किया जा सके ऐसी अद्भुत चित्रकला दी। एक वक्त कोशाम्बीनगरीमें राजसभामें गये हुए उस चित्रकार पुत्रने झरोखेमेंसे मृगावती रानीका अंगूठा देख, उसके ऊपरसे रानीका यथास्थितरूप चित्रित किया । राजाने मृगा. वतीकी जांघ पर तिल था वह भी चित्रमे निकाला हुआ देखा, अनाचार शंकासे क्रुद्ध होकर चित्रकारपुत्रको मार डालनेकी आज्ञा की । दूसरे सर्वचित्रकारोंने राजासे यक्षके वरदानकी बात कही। तब राजाने परीक्षाके हेतु एक कुब्जादासीका मुख मात्र दिखा कर चित्र निकालनेको कहा। वह भी चित्रकार पुत्रने बराबर चित्रित किया देखकर क्रोध शमने परभी राजाने उसका दाहिना हाथ काट डाला । तब चित्रकारपुत्रने अयोग्यशिक्षासे रुष्ट हो पुनः यक्षकी आराधना कर वरदान प्राप्त कर मृगावतीका रूप फिरसे बांये हाथसे चित्रित किया और वह चंडप्रद्योतराजाको बताया । राजाचंडप्रद्योतने मृगावतीकी मांगणी करनेके लिये कोशांबी नगरीको दूत भेजा। उसका तिरस्कार हुआ देखकर उसने अपनी सैन्य द्वारा चारों ओरसे कोशांबीनगरीको घेर ली । शतानीक राजा मरगया, तब चंडप्रद्योतने मृगावतीके कहलानेसे “ उज्जयिनीसे ईंटे मंगा कर कोट कराया और नगरमें अन्न तथा घास बहुत सा भर रखा ।" चंडप्रद्योतने वैसा किया इतनेमें वीरभग
SR No.023155
Book TitleShraddh Vidhi Hindi Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnashekharsuri
PublisherJainamrut Samiti
Publication Year1930
Total Pages820
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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