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________________ ज्ञाताधर्मकथांग का सांस्कृतिक अध्ययन चमरचंचा ज्ञाताधर्मकथांग में चमरचंचा नगरी का नामोल्लेख मिलता है । 11 जम्बूद्वीप के सुमेरु पर्वत के दक्षिण में रत्नप्रभा पृथ्वी का 40 हजार योजन भाग अवगाहन करने पर वहाँ असुर कुमारों के इन्द्र राजा चमर की राजधानी चमरचंचा है। चमरचंचा की लम्बाई-चौड़ाई एक लाख योजन की है ।142 आमलकल्पानगरी ज्ञाताधर्मकथांग के अनुसार जम्बूद्वीप के भरत क्षेत्र में आमलकल्पा नामक नगरी थी। 43 अमरकंका ज्ञाताधर्मकथांग में अमरकंका नगरी का संक्षिप्त विवरण मिलता है । यह नगरी धातकीखण्ड द्वीप में पूर्व दिशा की तरफ दक्षिणार्थ भरत क्षेत्र में स्थित थी 144 अलकापुरी इन्द्र की नगरी को अलकापुरी कहा जाता है । ज्ञाताधर्मकथांग के अनुसार इसे कुबेर निर्मित या कुबेर की नगरी भी कहा जाता है। इस नगरी की यह विशेषता है कि वह समचौकोण और सुवर्णयुक्त कोट वाली है । इस नगरी के चारों ओर अर्थात् प्रत्येक दिशा में अशोक, सप्तच्छ, चम्पक तथा आम्रवृक्षों के वन समूह स्थित हैं । इस नगरी के प्रासाद सुवर्ण, चाँदी व रत्नों से युक्त हैं । यहाँ इन्द्र अपने परिवार के साथ विविध प्रकार की विभूतियों से क्रीड़ा करते रहते हैं ।" द्वारकानगरी अलकापुरी के समकक्ष थी। 7 भारतवर्ष या भरत क्षेत्र ज्ञाताधर्मकथांग की विविध कथाओं में भारतवर्ष या भरतक्षेत्र का नामोल्लेख मिलता है।48 यह जम्बूद्वीप का 190वाँ भाग अर्थात् अर्थात् 52619 ,योजन चौड़ा है । भरत क्षेत्र पूर्व-पश्चिम में लम्बा और उत्तर - दक्षिण में चौड़ा है। इस भरतक्षेत्र की तीन सीमाएँ लवण समुद्र को स्पर्श करती हैं। गंगा महानदी, सिन्धु महानदी तथा वैताढ्य पर्वत होने के कारण यह क्षेत्र दक्षिणार्ध भरत तथा उत्तरार्द्ध भरत के नाम से दो भागों में विभक्त हो गया है 19 इस देश का प्राचीन नाम भारत है। इस नामकरण की कई परम्पराएँ हैं । 76
SR No.023141
Book TitleGnatadharm Kathang Ka Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShashikala Chhajed
PublisherAgam Ahimsa Samta evam Prakrit Samsthan
Publication Year2014
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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