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________________ प्रकाशन सहयोगी परिचय श्रीमती मघीदेवी धर्मपत्नी स्व. श्री मोहनलालजी दुगड़ जोरावरपुरा, नोखा उदारता, धर्म व संस्कार मनुष्य जीवन की आदर्श त्रिवेणी है। जिन व्यक्तियों में यह समन्वय पाया जाता है उनका जीवन निश्चित रूप से धन्य है। अनंत पुण्यवाणी से मनुष्य जीवन प्राप्त होता है लेकिन उन्हीं मनुष्यों का जीवन धन्य है जो अपने जीवन के साथ-साथ अपने परिवार, समाज में लोककल्याण के कार्यों से सुवास उत्पन्न करते हैं। मारवाड़ की धरा सदैव ही ऐसे वीर-वीरांगनाओं की ऋणी रही है व उनको नमन करती है जो अपने क्रियाकलापों से दूसरों का जीवन धन्य करते हैं। ऐसे संस्कारों की धनी श्रीमती मघीदेवी का जन्म माता श्रीमती तक्कुदेवी की रत्नकुक्षी से पिता श्री भूरालालजी बुच्चा, छीला निवासी हाल नोखा के घर-आंगन में हुआ। माता-पिता से प्रदत्त संस्कारों की धरोहर को आगे लेकर बढ़ते हुए मघीदेवी का शुभविवाह श्री जुगराजजी दुगड़-श्रीमती गंगादेवी के सुपुत्र श्री मोहनलालजी दुगड़ के साथ सम्पन्न हुआ। श्री मोहनलालजी दुगड़ अत्यंत ही धैर्यवान, सौम्य एवं हंसमुख प्रवृत्ति के धनी थे। आपने धर्मपत्नी पद को सार्थकता देते हुए अपने पति के प्रत्येक कार्य में कंधे से कंधा मिलाकर सच्ची सहधर्मिणी के दायित्व का निर्वहन किया। श्रीमती मघीदेवी ने अपने जीवन में अनेक तप-त्याग एवं तपस्याएँ सम्पन्न किये। आपने अब तक के जीवनकाल में दो बार अठाई, नौ तेला, बेला, आयम्बिल, एकासन आदि अनेक तपस्याएँ की तथा 2 बार वर्षीतप की तपस्या सम्पन्न की। आपने 50 वर्ष की अवस्था में ही शीलव्रत के प्रत्याख्यान ले लिये। आपने आजीवन रात्रि भोजन व 5 तिथि पर हरी त्याग के प्रत्याख्यान ग्रहण किये हुए हैं। आप सदैव चारित्रात्माओं के दर्शन, सेवा लाभ हेतु तत्पर रहती हैं। आपकी सदैव यह भावना रहती है कि चारित्रात्माओं के प्रवचनों का जितना श्रवण किया जा सके या उनका जितना सानिध्य प्राप्त हो वही महालाभ है। आपके परिवार से 4 मुमुक्षुओं ने दीक्षा ग्रहण की हुई है। आपका सम्पूर्ण
SR No.023141
Book TitleGnatadharm Kathang Ka Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShashikala Chhajed
PublisherAgam Ahimsa Samta evam Prakrit Samsthan
Publication Year2014
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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