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________________ प्रकाशकीय अर्धमागधी जैन आगम साहित्य भारतीय संस्कृति और साहित्य की अमूल्य निधि है। श्वेताम्बर परम्परा में उपलब्ध द्वादशांगी में ज्ञाताधर्मकथांग का छठा स्थान है। ज्ञाताधर्मकथांग में विभिन्न कथाओं के माध्यम से जैन दर्शन, संस्कृति एवं समाज का व्यापक विवेचन उपलब्ध होता है। डॉ.शशिकला छाजेड़ सम्प्रति साध्वी श्री प्रणतप्रज्ञाश्रीजी म.सा. ने अपने मुमुक्षु काल में जैन विश्व भारती संस्थान, लाडनूं से 'ज्ञाताधर्मकथांग का सांस्कृतिक अध्ययन' विषय पर शोध प्रबन्ध लिखा, जिस पर उन्हें वर्ष 2004 में पीएच.डी. की उपाधि से सम्मानित किया गया। अध्ययन के साथ ही आप वैराग्य अवस्था में थी, अध्ययन पूर्ण कर आपने रत्नत्रय के महान् आराधक परमागम रहस्यज्ञाता महावीर परम्परा के 82वें पाट पर विराजित आचार्य श्री रामलाल जी म.सा. से 28 जनवरी, 2007 को खिरकिया (म.प्र.) में जैन भागवती दीक्षा अंगीकार की। आपके साथ ही आपकी मातुश्री श्रीमती धन्नीदेवी छाजेड़ ने भी जैन भागवती दीक्षा अंगीकार की। सम्प्रति आप धनश्रीजी म.सा. नाम से जिनशासन की प्रभावना कर रही है। ___ आगम, अहिंसा-समता एवं प्राकृत संस्थान, उदयपुर ने डॉ. शशिकला छाजेड़ के इस शोध प्रबन्ध को जनसाधारण के लिए उपयोगी मानते हुए प्रकाशित करने का निर्णय लिया। संस्थान द्वारा इस ग्रंथ के प्रकाशन का उद्देश्य जैन आगमों में सन्निहित विपुल ज्ञान-संपदा से श्रावक-श्राविकाओं, जैन धर्म एवं दर्शन पर शोध करने वाले शोधार्थियों एवं युवा विद्वानों को अवगत कराना है। संस्थान द्वारा अब तक जैन धर्म एवं दर्शन की विविध विधाओं से संदर्भित 33 पुस्तकों का प्रकाशन किया जा चुका है। प्रस्तुत ग्रंथ के प्रकाशन के लिए हमें उदारमना श्रीमती मधीदेवी धर्मपत्नी स्व. श्री मोहनलाल जी दुगड़, निवासी- जोरावरपुरा, नोखा से सहयोग प्राप्त हुआ है, संस्थान आपके सहयोग हेतु सदैव आभारी रहेगा। ग्रंथ प्रकाशन में सहयोगी रहे सभी महानुभावों के प्रति आगम, अहिंसा-समता एवं प्राकृत संस्थान आभारी है। ___ निवेदक आगम, अहिंसा-समता एवं प्राकृत संस्थान, उदयपुर श्री अखिल भारतवर्षीय साधुमार्गी जैन संघ
SR No.023141
Book TitleGnatadharm Kathang Ka Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShashikala Chhajed
PublisherAgam Ahimsa Samta evam Prakrit Samsthan
Publication Year2014
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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