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________________ परिवार पूर्ण संघनिष्ठ व शासननिष्ठ है। आपका परिवार श्री साधुमार्गी जैन संघ, नोखा के गौरवशाली परिवारों में गिना जाता है। आप नोखा संघ के प्रत्येक कार्य में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हुए तन-मन-धन से सहयोग प्रदान करते हैं। आपका परिवार सदाचार व भाईचारे की एकता की मिशाल है। ' धार्मिक सुसंस्कारों के साथ-साथ आपका सामाजिक जीवन भी बहुत ही अनुकरणीय एवं प्रेरणास्पद है। आप संयुक्त परिवार की धनी महिलारत्न है। आपने अपने कुशल व्यवहार से सम्पूर्ण परिवार को एकसूत्र में बांधे रखा हुआ है। आपके चार पुत्र व दो पुत्री सहित भरा-पूरा परिवार है। आपके प्रथम पुत्र-पुत्रवधु श्री भंवरलाल-सरोजदेवी अहमदाबाद में निवासरत हैं। जहाँ पर आपके फाईनेंस व नमकीन, पापड़, रसगुल्लों का व्यापार है। द्वितीय पुत्र-पुत्रवधु श्री महावीर प्रसादजी-राजूदेवी गुवाहाटी में निवासरत हैं। आपके खिलौने व ड्रेस मैटिरियल का व्यापार है। आपके तृतीय पुत्र-पुत्रवधु श्री राजेन्द्रकुमारजी-सरोजदेवी भी गुवाहाटी में ही निवासरत हैं। आपके ऑटो पार्ट्स का व्यापार है। चतुर्थ पुत्र श्री विनोदकुमारजी-समतादेवी गुवाहाटी में निवासरत हैं एवं आपका भी ऑटो पार्ट्स का व्यापार है। ___आपके चारों पुत्र-पुत्रवधुएँ धर्म के प्रति अगाढ़ आस्था रखने वाले व हुक्मसंघ के प्रति सर्वतोभावेन श्रद्धानिष्ठ एवं समर्पित हैं। माता-पिता से प्रदत्त संस्कारों की पूँजी को लेकर आप अपने जीवन में निरन्तर आगे बढ़ रहे हैं। आप अपने माता-पिता की भावना को ध्यान में रखते हुए निरन्तर सामाजिक कार्यों, अनेक प्रवृत्तियों से संघ व समाज को लाभान्वित करते रहते हैं। आपने मातृ-पितृ की सेवा के संकल्प को अपने जीवन में धारण करते हुए मूलमंत्र बनाया हुआ है। आपने इसी भावना से ओत-प्रोत होकर प्रस्तुत कृति "ज्ञाताधर्मकथांग का सांस्कृतिक अध्ययन" के प्रकाशन हेतु अपनी स्वीकृति प्रदान की है। __आपके द्वारा प्रदत्त सुसंस्कारों की धरोहर को लेकर आगे बढ़ते हुए आपकी दोनों पुत्रियाँ-दामाद उच्छबदेवी-सुशीलकुमारजी सेठिया झझू निवासी हाल नोखा एवं स्नेहलता-प्रकाशचंदजी बैद-नोखा/गुवाहाटी भी अपने परिवार के संस्कारों की धरोहर को लेकर आगे बढ़ रही हैं।
SR No.023141
Book TitleGnatadharm Kathang Ka Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShashikala Chhajed
PublisherAgam Ahimsa Samta evam Prakrit Samsthan
Publication Year2014
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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