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________________ जैनागम एवं ज्ञाताधर्मकथांग 48. नन्दीसूत्र (सं) मुनि मधुकर, सूत्र 82, पृ. 165 49. तत्त्वार्थसूत्र-श्रुतसागरीवृत्ति, 1/20 50. 'ज्ञाता दृष्टान्ताः तानुपादाय धर्मों यत्र कथ्यते ज्ञातधर्मकथाः।' -तत्त्वार्थभाष्य 51. तत्त्वार्थवार्तिक पृ. 1/20, पृ. 72 52. ज्ञातानि उदाहरणानि तत्प्रधाना धर्मकथा ज्ञाताधर्मकथाः अथवा ज्ञातानिज्ञाताध्ययनानि प्रथमश्रुतस्कंधे ___ धर्मकथा द्वितीय श्रुतस्कन्धे यासु ग्रंथपद्धतिषु (ताः) ज्ञाताधर्मकथाः । - नंदीवृत्ति, पत्र- 230-231 53. समवायांग, पत्र-108 54. भगवान महावीर नी धर्मकथाओं, टिप्पण- पृ. 180 55. प्राकृत साहित्य का इतिहास- पृ. 80 56. प्राकृत भाषा और साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास- पृ. 172 57. कल्पसूत्र-110 58. (i) आचारांग- श्रु.2, अ.15, सू. 1003 (ii) आचारांग- श्रु.1, अ.8, उ.8, सू. 1003 59. (i) सूत्रकृतांग- उ. 1, गा. 22 (ii) सूत्रकृतांग- 1/6/24, 2/6/19 60. भगवती 15/79 61. उत्तराध्ययन 6/17 62. दशवैकालिक अ. 5, उ. 2, गा. 49 63. (i) विनयपिटक महावग्ग पृ. 242 (ii) सूत्तनिपात-सुभियसुत्त पृ. 108 (iii) मज्झिमनिकाय हिन्दी उपाति-सुत्तन्त पृ. 222 64. कषायपाहुड़, पृ. 125 65. समवायांग प्रकीर्णक, समवाय सूत्र, 94 66. नंदीसूत्र-85 67. नंदीसूत्र (मुम्बई), सूत्र 95, पृ. 37 68. सुत्तनिपात- अट्ठकथा, खण्ड-1 पृ. 59-105 70. जातक सं.-182 71. थेरगाथा-157 72. संगमावतार जातक, सं. 182 (हिन्दी अनु. खं. 2 पृ. 248-254) 74. (i) भरतेश्वर बाहुबलि वृत्ति, आवश्यक चूर्णि, धर्मरत्न प्रकरण आदि। ___ (ii) थेरीगाथा अट्ठकथा 31-32, मज्झिमनिकाय-अभयराजकुमार सुत्त-धम्मपद अट्ठकथा 75. जहा कुम्मेसअंगाई, सए देहे समाहरे। ___ एवं पावाइं मेहावी, अज्झप्पेण समाहरे।। -सूत्रकृतांग 76. यदा संहरते चायं कूर्मोगानीव सर्वशः। __इन्द्रियाणीन्द्रियार्थेभ्यस्तस्य प्रज्ञा प्रतिष्ठिता।। - श्रीमद् भगवद्गीता 2-58 77. संयुक्त निकाय- 2, पृ. 97 78. आपस्तम्बधर्मसूत्र 2/4/9/13 79. बोधायनधर्मसूत्र 2/7/31/32 80. श्री ज्ञाताधर्मकथांग योग (युवाचार्य श्री मधुकर मुनि जी म.सा. पृ. 510) 37
SR No.023141
Book TitleGnatadharm Kathang Ka Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShashikala Chhajed
PublisherAgam Ahimsa Samta evam Prakrit Samsthan
Publication Year2014
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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