SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 37
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ज्ञाताधर्मकथांग का सांस्कृतिक अध्ययन 24. "तस्स मुहग्गदवयणं पुव्वापरदोस विरहियं सुद्धं । आगमिदि परिकहियं तेण दु कहिया हवं तच्चत्था।।" -नियमसार मूलगाथा-8, पृ. 19 25. आगम्यन्ते मर्यादयाऽवबुद्धयनतेऽर्थाः अनेनेत्यागमः । - रत्नाकरावतारिका 4/1, पृ. 81 26. पंचास्तिकाय तात्पर्यवृत्ति गा. 173, पृ. 255 (कुन्ददुन्दाचार्य) 27. आवश्यक नियुक्ति, गाथा- 89-90 28. वही, गाथा- 192 29. नन्दीसूत्र, सूत्र-40, पृ. 153 30. (i) विशेषावश्यक भाष्य, पृ. 149 (ii) सर्वार्थसिद्धि, 1-20, पृ. 85 (आ. पूज्यपाद) 31. गणहर थेरकयं वा आएसा मुक्क-वागरणाओ वा। ध्रुव-चल विसेसओ वा अंगाणंगेसु नाणत्तं ।। -विशेषावश्यक भाष्य, गाथा- 550 पृ. 149 32. A. (i) तिथोगाली, गाथा- 714 (ii) आवश्यक चूर्णि भाग-2, पृ. 187 B. जैन धर्म का मौलिक इतिहास, भाग 2, पृ. 651 33. A. (i) नन्दी चूर्णि (जिनदासमहत्तर कृत), पृ. 8 ___ (ii) इत्थ दूसहदुब्भिक्खे दुवालसवारिसिए नियत्ते सयलसंघ मेलिआ आगमाणओगी पवित्तिओ ___ खंदिलायरियेण' - विविध तीर्थकल्प, पृ. 19 B. हिमवन्त स्थविरावली 34. भारतीय संस्कृति में जैनधर्म का योगदान, पृ. 55 35. जैनदर्शन का आदिकाल, पृ. 7 36. वही, पृ. 7 37. (i) नन्दीसूत्र, गाथा 35 (ii) योगशास्त्र, प्रकाश-3, पृ. 207 38. स्थानांगसूत्र (प्रस्तावना), पृ. 27 39. "जिनवचनं च दुष्षमाकालवशादुच्छिन्न-प्रायमितिमत्वा भगवद्भिर्नागार्जुनस्कन्दिलाचार्य प्रभृतिभिः सपुस्तकेष न्यस्तम्।" -योगशास्त्र, प्रकाश-3, पृ. 207 40. दशवैकालिक भूमिका- आचार्य तुलसी, पृ. 27 41. नन्दीमलयगिरिवृत्ति, पत्र-83 42. (i) भगवंचणं अद्धमागहीए भासाए धम्ममाइक्खइ'- समवायांग 34/22 (ii) "गोयमा! देवाणं अद्धमागहीए भासाए भासंति, सावियणं अद्धमागही भासा भासिज्जमाणी विसिस्सइ" - भगवतीसूत्र - 5/4/20, पृ. 56 43. "भासारिया जेणं अद्धमागहीए भासाए भासेंति" -प्रज्ञापनासूत्र- 1/62, पृ. 56 44. "मगद्धविसय भाषाणिबद्धं अद्धमागहं, अट्ठारस देसी भासाणिमयं वा अद्धमागहं" -निशीथचूर्णि, जिनदासगणि 45. (i) जय धवला- पृ. 87 (ii) धवला पु. 1, प्रस्तावना, पृ. 71 46. भारतीय संस्कृति में जैनधर्म का योगदान, पृ. 72-73 47. अनुयोगद्वार, सूत्र-550 36
SR No.023141
Book TitleGnatadharm Kathang Ka Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShashikala Chhajed
PublisherAgam Ahimsa Samta evam Prakrit Samsthan
Publication Year2014
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy