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________________ ज्ञाताधर्मकथांग में प्रतिपादित धर्म-दर्शन हैं तथा साध्वियाँ सभी प्रकार के पुरुषों से दूर रहती है। इतना ही नहीं, वे किसी भी प्रकार के कामोत्तेजक अथवा इन्द्रियाकर्षक पदार्थ से अपना सम्बन्ध नहीं जोड़ते । ब्रह्मचर्य महाव्रत के पालन के लिए पाँच भावनाएँ निम्नोक्त हैं- स्त्रीकथा न करना, स्त्री के अंगों को अवलोकन न करना, पूर्वानुभूत काम-क्रीड़ा आदि का स्मरण न करना, मात्रा का अतिक्रमणकर भोजन न करना, स्त्री आदि से सम्बद्ध स्थान में न रहना ।201 जिस प्रकार श्रमण के लिए स्त्रीकथा आदि का निषेध है, उसी प्रकार श्रमणी के लिए पुरुषकथा आदि का निषेध है । (5) अपरिग्रह महाव्रत मूर्च्छा को परिग्रह कहते हैं । धन-धान्य, कुटुम्ब - परिवार और अपने शरीर के प्रति उत्पन्न आसक्ति परिग्रह है । इस परिग्रह का पूर्णतया त्याग करना अपरिग्रह महाव्रत है। संयम निर्वाह के लिए वह जो कुछ भी अल्पतम उपकरण अपने पास रखता है, उन पर भी उसका ममत्व नहीं होता 1 202 अपरिग्रह महाव्रत की पाँच भावनाएँ ये हैं- संसार में अनेक प्रकार के विषय हैं, उनमें से कुछ मनोज्ञ तथा कुछ अमनोज्ञ पदार्थ हैं । मनोज्ञ विषयों के प्राप्त होने पर राग बढ़ता है और अमनोज्ञ विषयों के मिलने पर द्वेष बढ़ता है । राग-द्वेष के कारण ही उनके संचय और त्याग की भावना आती है, अतः अपरिग्रह महाव्रत की रक्षा के लिए मनोज्ञ और अमनोज्ञ स्पर्श, रस, गंध, रूप और शब्द इन्द्रियों के इन पाँचों विषयों में राग-द्वेष का त्याग करना चाहिए, जिससे कि उनके ग्रहण और त्याग का विकल्प ही न बचे 1203 रात्रिभोजन विरमणव्रत दशवैकालिक के तीसरे अध्ययन में निर्ग्रन्थों के लिए औद्देशिक भोजन, क्रीत भोजन, आमंत्रण स्वीकार कर किया हुआ भोजन यावत् रात्रि भोजन का निषेध किया गया है। 204 षड्जीवनिकाय नामक चतुर्थ अध्ययन में पाँच महाव्रतों के साथ रात्रिभोजन विरमण का भी प्रतिपादन किया गया है एवं उसे छठा व्रत भी कहा गया है 1205 आचार - प्रणिधि नामक आठवें अध्ययन में स्पष्ट किया गया है कि रात्रि भोजन हिंसादि दोषों का जनक है। अतः निर्ग्रन्थ सूर्यास्त से लेकर सूर्योदय तक किसी प्रकार के आहारादि की इच्छा न करें 1206 इस प्रकार जैन आचार ग्रंथों में 295
SR No.023141
Book TitleGnatadharm Kathang Ka Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShashikala Chhajed
PublisherAgam Ahimsa Samta evam Prakrit Samsthan
Publication Year2014
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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