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________________ ज्ञाताधर्मकथांग में प्रतिपादित धर्म-दर्शन दुर्भिक्षभक्त, कान्तारभक्त, वर्दलिका भक्त, ग्लानभक्त आदि दूषित आहार ग्रहण करना नहीं कल्पता है। इसी प्रकार मूल का भोजन, कंद का भोजन, फल का भोजन, शालि आदि बीजों का भोजन अथवा हरित का भोजन करना भी नहीं कल्पता है। साधु के लिए सामान्य रूप में दिन का तीसरा प्रहर भोजन-पान के लिए नियत किया गया है। श्रमण को मधुकर वृत्ति से थोड़ा-थोड़ा आहार सब घरों से लेना चाहिए।195 ग्रहण किए गए आहार का भी प्रतिलेखन किया जाता था।96 साधु के उपयोग में न आने वाली वस्तु यदि पात्र में आ जाए तो उसे एकान्तआवागमन रहित उचित भूमि में परठने का विधान भी है।197 पाँच महाव्रत श्रमण का हर क्रियाकलाप देशविरति से सर्वविरति की ओर बढ़ने की दिशा में केन्द्रित होता है। सर्वविरति अर्थात् सर्वत्याग के लिए वह महाव्रतों का पालन करता है। महाव्रत पाँच हैं- सर्वप्राणातिपात, सर्वमृषावाद, सर्वअदत्तादान, सर्वमैथुन, सर्वपरिग्रह से विरमण । इन पाँचों महाव्रतों का पूर्णत: त्याग तीन करण और तीन योग से किया जाता है। इस प्रकार के त्याग को नवकोटि- प्रत्याख्यान कहा जाता है क्योंकि इसमें हिंसा आदि करना, कराना और अनुमोदन करना रूप तीन करणों का मन, वचन और काय रूप तीन योगों से प्रतिषेध किया जाता है। इन महाव्रतों का ज्ञाताधर्मकथांग के विशेष परिप्रेक्ष्य में विवेचन अग्रांकित है(1) अहिंसा महाव्रत किसी भी जीव को मन, वचन, काय से पीड़ा पहुँचाना हिंसा है। इस हिंसा का पूर्णतया परित्याग करना अहिंसा महाव्रत है। ___ पाँच महाव्रतों की स्थिरता के लिए पाँच-पाँच भावनाएँ हैं। 98 जैसे किसी बीज को धरती में बोने के बाद समय-समय पर उसे सींचना और खाद-पानी देते रहना अनिवार्य है तभी उन बीजों का सम्यक् पल्लवन होता है, उसी प्रकार गृहीत महाव्रतों की स्थिरता के लिए कुछ विशिष्ट प्रकार की भावनाएँ भायी जाती हैं। ये भावनाएँ साधक को उन तमाम भौतिक और मानसिक परिस्थितियों से बचाती हैं, जो व्रतों को मलिन बनाती हैं। अहिंसा महाव्रत की पाँच भावनाएँ वचन गुप्ति, मनोगुप्ति, ईर्यासमिति, आदान निक्षेपण समिति और आलोकित 293
SR No.023141
Book TitleGnatadharm Kathang Ka Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShashikala Chhajed
PublisherAgam Ahimsa Samta evam Prakrit Samsthan
Publication Year2014
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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