SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 22
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैनागम एवं ज्ञाताधर्मकथांग सम्मेलनों में जिन ग्यारह अंगों का संकलन हुआ था, उनके छिन्न-भिन्न हो जाने से महावीर निर्वाण के लगभग 980 वर्ष बाद वल्लभी में देवर्द्धिगणि क्षमाश्रमण की अध्यक्षता में पुनः जो संघ सम्मेलन हुआ उसमें 45-46 ग्रंथों का संकलन किया गया, जिसके अंतर्गत ग्यारह अंग, बारह उपांग, छ: छेद सूत्र, चार मूल सूत्र, दस प्रकीर्णक और चूलिका सूत्र आते हैं। इन आगम ग्रंथों से संबद्ध अनेक परवर्ती रचनाएँ भी हैं, जिनका लक्ष्य आगमों की विषयवस्तु को संक्षेप या विस्तार से समझाना है, ये रचनाएँ निम्नोक्त चार प्रकार की हैं- (i) नियुक्ति, (ii) भाष्य, (iiii) चूर्णि और (iv) टीका। कालान्तर में इनके आधार पर अन्य विविध साहित्य की भी रचना हुई।46 आगमों का वर्गीकरण । अनुयोगद्वार में आगम के दो वर्गीकरण उपलब्ध होते हैं- प्रथम वर्गीकरण में आगम तीन प्रकार के माने गए हैं- (i) सूत्रागम, (ii) अर्थागम और (iii) तदुभयागम" । श्वेताम्बर व दिगम्बर परम्परा में आगमों का वर्गीकरण अलगअलग प्रकार से किया गया है, जिसे हम तालिका रूप में व्यक्त कर सकते हैं। (क) श्वेताम्बर परम्परा- नन्दीसूत्र में आगमों का वर्गीकरण अग्रांकित तालिका द्वारा स्पष्ट किया गया है48 ___ श्रुत अंगप्रविष्ठ अंगबाह्य आवश्यक आवश्यक से भिन्न कालिक उत्कालिक आचारांग सूत्रकृतांग स्थानांग समवायांग भगवतीसूत्र ज्ञाताधर्मकथांग उपासकदशांग सामायिक चतुर्विंशतिस्तव वन्दना प्रतिक्रमण कायोत्सर्ग उत्तराध्ययन दशाश्रुतस्कन्ध कल्प दशवैकालिक कल्पिकाकल्पिक चुल्लकल्पश्रुत 21
SR No.023141
Book TitleGnatadharm Kathang Ka Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShashikala Chhajed
PublisherAgam Ahimsa Samta evam Prakrit Samsthan
Publication Year2014
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy