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________________ ज्ञाताधर्मकथांग में राजनैतिक स्थिति 'दूत' का उल्लेख मिलता है।17 राजा अपने विरोधी राज्य में अथवा किसी अन्य राज्य की कन्या के साथ मंगनी करने का प्रस्ताव दूत के माध्यम से भेजते थे।118 दूत अन्य देश के राजा से वार्ता में अपने स्वामी के कथन के अलावा कुछ भी नहीं कहता था। यदि वह संदेश राजा को स्वीकार होता तो वह उस दूत का खूब आदर-सत्कार करते और राजा के प्रतिकूल समाचार होने पर उसे फटकारकर पिछले द्वार से भगा दिया जाता था।21 दूत को राजनीति में अवध्य माना जाता था।22 दूत के लिए विशेष पोशाक का उल्लेख भी मिलता है। द्रौपदी के स्वयंवर का संदेश लेकर जब दूत अन्य राजाओं को निमंत्रण देने जाता है तब वह अंगरक्षा के लिए कवच धारण करके, धनुष लेकर और भुजाओं पर चर्म की पट्टी बांधकर, ग्रीवा रक्षक धारण करके, मस्तक पर गाढ़ा बंधा चिह्नपट्ट धारण करके अस्त्र-शस्त्र से युक्त होकर जाता है ।23 अमात्य24 व सारथी25 द्वारा दूत कार्य (दौत्यकर्म) करने का उल्लेख मिलता है। कौटुम्बिक पुरुष कुटुम्बों के स्वामी का नाम कौटुम्बिक है ।26 ज्ञाताधर्मकथांग में कौटुम्बिक पुरुषों द्वारा नगर में राजाज्ञा की घोषणा होती थी।27 इसके आधार पर कहा जा सकता है कि कौटुम्बिक पुरुष उद्घोषक के रूप में काम करते थे। दास-दासियाँ स्वामी-सेवक भाव हर युग में किसी न किसी रूप में अवश्य विद्यमान रहा है। ज्ञाताधर्मकथांग भी इससे अछूता नहीं है धन्य सार्थवाह के दास (दासीपुत्र), प्रेष्य (कामकाज के लिए बाहर भेजे जाने वाले नौकर), भृतक (जिनका बाल्यावस्था में पालन-पोषण किया हो) आदि कई प्रकार के दास थे।28 मेघकुमार का लालन-पालन करने के लिए पाँच धाएँ (दासियाँ) नियोजित की गई थी-(1) क्षीरधात्री- दूध पिलाने वाली, (2) मंडनधात्रीवस्त्राभूषण पहनाने वाली धाय, (3) मजनधात्री- स्नान कराने वाली धाय, (4) क्रीड़ापनधात्री- खेल खेलाने वाली धाय, (5) अंकधात्रीगोद में लेने वाली धाय। इनके अतिरिक्त चिलात, बर्बर, बकुश, योनक, पल्हविक, ईसिनिक, धोरूकिन, ल्हासक, लकुश, द्रविड़, सिंहल, अरब, पुलिंद, पक्कण, बहल, मुरूंड, पारस, शबर आदि अठारह देशों की दासियाँ अहर्निश मेघकुमार के लालन-पालन में नियुक्त की गई थी।129 197
SR No.023141
Book TitleGnatadharm Kathang Ka Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShashikala Chhajed
PublisherAgam Ahimsa Samta evam Prakrit Samsthan
Publication Year2014
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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