SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 137
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ज्ञाताधर्मकथांग का सांस्कृतिक अध्ययन भव्य थी और यहाँ पर अनेक प्रकार के अशन, पान, खादिम और स्वादिम अर्थात् पकवान बनते थे। भोजन बनाने के लिए पाक स्थान (चूल्हा) का प्रयोग होता था।272 i. वेशभूषा किसी भी व्यक्ति का प्रथम परिचय उसकी वेशभूषा है। ज्ञाताधर्मकथांग में विविध वर्गों से जुड़े पात्र हैं- उसी के अनुरूप उनकी वेशभूषा में भी विविधता के दर्शन होते हैं। उनकी वेशभूषा का विश्लेषण-निदर्शन तीन बिन्दुओं1. वस्त्र, 2. आभूषण और 3. प्रसाधन के आधार पर प्रस्तुत हैवस्त्र ज्ञाताधर्मकथांग में पात्रानुरूप अग्रांकित वस्त्रों का उल्लेख मिलता हैक्षौम- यह अत्यन्त महीन और सुन्दर वस्त्र था, जो अलसी की छाल तन्तु से निर्मित होता था। क्षौम काशी और पुण्ड्रदेश का प्रसिद्ध था। ज्ञाताधर्मकथांग में उल्लेख मिलता है कि कसीदा काढ़ा हुआ क्षौम दुकूल का चद्दर धारिणी रानी के उत्तम भवन में लगा हुआ था।74 प्रावरण- इसका अर्थ ओढ़ने के वस्त्र से है ।275 iii. कम्बल- ज्ञाताधर्मकथांग में कंबल, रत्न कंबल का उल्लेख मिलता है।76 अमरकोश में भी कम्बल शब्द का प्रयोग हुआ है और उसे रल्लक भी कहा है।277 दूष्य वस्त्र- यह मूल्यवान रेशमी वस्त्र है।78 ठाणांग सूत्र में देवदूष्य वस्त्र का उल्लेख मिलता है, जिसे भगवान महावीर ने धारण किया था।279 v. दुकूल- ज्ञाताधर्मकथांग में चद्दर के रूप में इसका प्रयोग हुआ है ।280 vi. उत्तरीय- इसका उपयोग दुपट्टे के रूप में होता था। इसे कंधे पर धारण ___करते थे।281 ज्ञाताधर्मकथांग में इसे ओढ़ने का वस्त्र बताया है ।282 vii. वल्कल- ये वस्त्र वृक्षों की छाल से बने होते थे। ज्ञाताधर्मकथांग में कच्छुल्ल नारद ने वल्कल वस्त्र धारण कर रखे थे।283 viii. अंशुक (अंसुयं)- ज्ञाताधर्मकथांग में धारिणी देवी ने आकाश और स्फटिकमणि के समान प्रभा वाले वस्त्रों को धारण किया, जिनके लिए 'अंसुयं' शब्द का प्रयोग किया गया है।284 136
SR No.023141
Book TitleGnatadharm Kathang Ka Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShashikala Chhajed
PublisherAgam Ahimsa Samta evam Prakrit Samsthan
Publication Year2014
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy