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________________ पर आज भी अंकित हैं। उन्होंने कैसे मुझे मम्मी-पापा से जैन विश्व भारती संस्थान में अध्ययन के लिए जाने की अनुमति दिलवायी, कैसे उन्होंने मेरा मार्गदर्शन व उत्साहवर्धन किया। प्रस्तुत कृति मैं उन्हीं को समर्पित करती हूँ। अपने बहन-बहनोई [श्रीमती राजू-श्री कमल बैद तथा श्रीमती चन्द्रकला-डॉ. प्रदीप कटारिया] एवं अन्य परिजनों को भी कैसे विस्मृत कर सकती हैं, जिनके सहयोग एवं स्नेहासिक्त वचनों के बिना यह लेखन कार्य पूरा करना संभव नहीं था, उन सभी के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करती हूँ। प्रस्तुत कृति की पूर्णता में किसी न किसी रूप में सहयोगी बने मेरे सहपाठियों व सभी ज्ञात-अज्ञात सहयोगियों के प्रति हार्दिक आभार ज्ञापित करती हूँ। -शशिकला छाजेड़ लाडनूं, वर्ष 2004
SR No.023141
Book TitleGnatadharm Kathang Ka Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShashikala Chhajed
PublisherAgam Ahimsa Samta evam Prakrit Samsthan
Publication Year2014
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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