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________________ प्रथम परिवर्त विषयानुक्रमणिका जैनागम एवं ज्ञाताधर्मकथांग - आगम का अर्थ, पर्यायवाची, व्युत्पत्ति, परिभाषा - रचनाकार, वाचनाएँ, भाषा, विषय-सामग्री - दिगम्बर-श्वेताम्बर परम्परा, वर्गीकरण, संख्या - ज्ञाताधर्मकथांग का द्वादशांगी में स्थान, संक्षिप्त परिचय द्वितीय परिवर्त संस्कृति के तत्त्व एवं ज्ञाताधर्मकथांग - संस्कृति- व्युत्पत्ति, अर्थ, परिभाषा - संस्कृति की विशेषताएँ - ज्ञाताधर्मकथांग में संस्कृति तृतीय परिवर्त ज्ञाताधर्मकथांग का भौगोलिक विश्लेषण - संसार, नरक, अधोलोक व देवलोक - द्वीप, महाविदेह व पूर्व विदेह, मुख्य नगर - जन सन्निवेश- ग्राम व नगर । विभिन्न प्रकार के नगर व नगर विन्यास । राजभवन-निर्माण, भवन के विभिन्न अंग, समवसरण व प्याऊ - पर्वत, नदियाँ, समुद्र, उद्यान-वन व चैत्य - वृक्षादि वनस्पति, लताएँ व पुष्प चतुर्थ परिवर्त ज्ञाताधर्मकथांग में सामाजिक जीवन - परिवार की विशेषताएँ . संयुक्त परिवार व परिवार के विभिन्न सदस्य - आचार-व्यवहार व संस्कार . नारी की स्थिति - खानपान, वेशभूषा-वस्त्राभूषण व प्रसाधन 112 122 131 134
SR No.023141
Book TitleGnatadharm Kathang Ka Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShashikala Chhajed
PublisherAgam Ahimsa Samta evam Prakrit Samsthan
Publication Year2014
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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