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________________ ज्ञाताधर्मकथांग का सांस्कृतिक अध्ययन मंदिरों से ही ढ़क गई है। यहाँ के जैन मंदिरों में अनेक प्राचीन प्रतिमाएँ भी हैं, उनमें से कुछ पर लेख भी उत्कीर्ण हैं । ये लेख वि.सं. 1034 से लेकर 20वीं शती तक के हैं।304 जिनप्रभसूरि ने 'विविध तीर्थकल्प' में इस तीर्थ की प्राचीनता, विभिन्न नाम, पौराणिक व ऐतिहासिक घटनाओं आदि का सुन्दर चित्रण किया है।305 विपुलाचल ___ ज्ञाताधर्मकथांग में विपुलाचल पर्वत का नामोल्लेख मिलता है। मेघ अनगार को विपुलाचल पर्वत पर आरूढ़ होने का अध्यवसाय उत्पन्न हुआ।06 सम्मेदशिखर ज्ञाताधर्मकथांग में इस पर्वत का उल्लेख मिलता है। मल्ली अरहन्त मध्यप्रदेश से विहार करते हुए सम्मेदशिखर पर पधारे और वहाँ उन्होंने अनशन अंगीकार किया।307 हिमवन्त पर्वत ज्ञाताधर्मकथांग में इस पर्वत का विभिन्न स्थानों पर नामोल्लेख मिलता है,308 लेकिन विस्तृत विवेचन नहीं। जम्बूद्वीप में भरत क्षेत्र व हिमवंत क्षेत्र में आया हुआ एक पर्वत। जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्रानुसार वह 25 योजन गहरा, 100 योजन ऊँचा, 1052124 योजन चौड़ा तथा 24932 योजन से कुछ अधिक लम्बा है। स्वर्णमय है। (जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति 4/89) चारू पर्वत ज्ञाताधर्मकथांग में इस पर्वत का नामोल्लेख मिलता है। बल राजा ने प्रव्रज्या ग्रहण की और बहुत वर्षों तक संयम पालकर वह चारू पर्वत पर गए जहाँ उन्हें केवलज्ञान की प्राप्ति हुई और अनशनपूर्वक सिद्ध बने।309 नदियाँ ज्ञाताधर्मकथांग में वर्णित विभिन्न नदियों का विवेचन इस प्रकार हैगंगा महानदी __ज्ञाताधर्मकथांग में उल्लेख मिलता है कि यह नदी दक्षिणार्थ भरत में विन्ध्याचल पर्वत के समीप बहती है।10 बनारस के बाहर (किनारे) उत्तर-पूर्व दिशा में यह नदी बहती है।11 जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति के अनुसार यह उत्तरार्द्ध भरतक्षेत्र 100
SR No.023141
Book TitleGnatadharm Kathang Ka Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShashikala Chhajed
PublisherAgam Ahimsa Samta evam Prakrit Samsthan
Publication Year2014
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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