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ज्ञाताधर्मकथांग का भौगोलिक विश्लेषण से लेकर दक्षिणार्द्ध भरतक्षेत्र तक फैली हुई है। इस महानदी की चौदह हजार उपनदियाँ हैं, जो चारों दिशाओं में फैली हुई हैं।312
आधुनिक गंगा नदी हिमाचल से निकलकर बंगाल की खाड़ी में गिरती
सीतोदा महानदी
ज्ञाताधर्मकथांग में सीतोदा महानदी का उल्लेख मिलता है।13 जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति के अनुसार महाविदेह क्षेत्र में निषध पर्वत के तिगिंछद्रह के उत्तरी तोरण से सीतोदा नामक महानदी निकलती है, यह उत्तर में निषध पर्वत पर 74211/10 योजन बहती है। सीतोदा महानदी अपने उद्गम स्थान में पचास योजन चौड़ी है, एक योजन गहरी है, लेकिन जब वह 532000 नदियों के परिवार से समुद्र में मिलती है तो पाँच सौ योजन चौड़ी हो जाती है।14 यह पश्चिम महाविदेह क्षेत्र के बीचोंबीच बहती हुई पश्चिम महाविदेह की उत्तर व दक्षिण दो भागों में बांटती है। सीता महानदी
ज्ञाताधर्मकथांग के अनुसार यह नदी जम्बूद्वीप के पूर्व विदेह क्षेत्र में नीलवन्त वर्षधर पर्वत से निकलती है।315 लवण समुद्र
ज्ञाताधर्मकथांग में लवण समुद्र का उल्लेख तो कई स्थानों पर हुआ है,316 लेकिन इसकी विस्तृत जानकारी उपलब्ध नहीं होती है। लवण समुद्र में अधिपति देव 'सुस्थित' है।317
उद्यान-वन
ज्ञाताधर्मकथांग में अग्रांकित उद्यानों एवं वनों का नामोल्लेख विभिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न संदर्भो में मिलता है
अटवी (1/15/12, 1/17/29), अशोकवाटिका (1/8/34), आम्रशालवन (2/1/3/8), आराम (1/2/10), इन्द्रकुंभ उद्यान (1/8/3), कान्तार (1/15/ 12, 1/17/23), काममहावन (2/3/54), गुणशील (1/1/13, 1/6/2, 2/1/ 36), चन्द्रावतसंक (2/8/75), जीर्णोद्यान (1/2/3), नन्दनवन (1/5/4), नलिनीवन (1/19/2), नीलाशोक (1/5/30), प्रमदवन (1/14/2), मालुकाकच्छ- मालूका वृक्ष की सघन छाया वाला स्थान (सचित्र अर्द्ध मागधी
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