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________________ प्रति ममत्व का पूर्ण त्याग कर देता है। वह अदीनतापूर्वक समभाव से सभी प्रकार के उपसर्गों को सहन करता है। ग्रंथ में 12 भिक्षु प्रतिमाओं का उल्लेख किया गया है। 1. मासिक, 2. द्विमासिक, 3. त्रैमासिक, 4. चातुर्मासिक, 5. पंचमासिक, 6. षट्मासिक, 7. सप्तमासिक, 8. प्रथम सप्तरात्रिदिवसकी, 9. द्वितीय सप्तरात्रिदिवसकी, 10. तृतीय सप्तरात्रिदिवसकी, 11. एक अहोरात्रिकी, 12. एक रात्रिकी । इन प्रतिमाओं के नामोल्लेख से इनकी अवधि स्पष्ट हो जाती है । इनका विशेष विवेचन दशाश्रुतस्कन्ध" में उपलब्ध है। एक मासिक - एक मास के समय वाली इस प्रतिमा में भिक्षु एक दत्ति अन्न की एवं एक दत्ति जल की ग्रहण करता है और आने वाले सभी कष्टों को सहन करता है । दत्ति शब्द से तात्पर्य है बिना धार टूटे एक बार में जितना आहार या पानी साधु के पात्र में आ जाय उसे दत्ति कहते हैं । द्विमासिक- द्विमासिक प्रतिमा में भिक्षु दो मास तक दो दत्तियाँ जल की व दो दत्तियाँ आहार की ग्रहण करता है । त्रिमासिक - त्रिमासिक प्रतिमा में भिक्षु तीन मास तक तीन दत्तियाँ आहारपानी की ग्रहण करता है । चतुर्मासिक- चतुर्मासिक प्रतिमा में भिक्षु चार मास तक चार दत्तियाँ आहार व पानी ग्रहण करता है । पंचमासिक - पंचमासिक प्रतिमा में भिक्षु पाँच माह तक आहार- पानी की पाँच दत्तियाँ ग्रहण करता है । षट्मासिक - षट्मासिक प्रतिमा में भिक्षु छः मास तक छ: दत्तियाँ आहारपानी ग्रहण करता है । सप्तमासिक- सप्तमासिक प्रतिमाधारक भिक्षु सात मास तक सात दत्तियाँ आहार- पानी की ग्रहण करता है । प्रथम सप्तअहोरात्रिकी - ( प्रथम सप्तरात्रिदिवसकी ) आठवीं प्रतिमा सात दिन-रात्रि की होती है । इसमें भिक्षु एकान्तर चौविहार उपवास करके आसन विशेष लगाकर ध्यान करता है । द्वितीय सप्तअहोरात्रिकी - (द्वितीय सप्तरात्रिदिवसकी ) नौवीं प्रतिमा भी सात दिन रात्रि की होती है। इसमें भी एकान्तर चौविहार उपवास करके आसन विशेष लगाकर ध्यान किया जाता है। श्रमणाचार 253
SR No.023140
Book TitleBhagwati Sutra Ka Darshanik Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTara Daga
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2012
Total Pages340
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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