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परमाणु-पुद्गल की नित्यता व अनित्यता...
अनेकान्तवाद का सहारा लेकर ही भगवान् महावीर ने भगवतीसूत्र में परमाणुपुद्गल को कथंचित् शाश्वत व कथंचित् अशाश्वत कहा है। द्रव्यार्थिक दृष्टि से उसे शाश्वत माना है तथा वर्ण, रस, गंध आदि पर्यायों की दृष्टि से उसे अशाश्वत माना है। यथा- दव्वट्ठयाए सासए, वण्णपज्जवेहिं जाव फासपज्जवेहिं असासए। से तेणटेणं जाव सिय असासए - (14.4.8)।
ग्रंथ में अन्यत्र द्रव्य की दृष्टि से पुद्गल की शाश्वतता को इस प्रकार स्पष्ट किया है। यह पुद्गल द्रव्य अतीत, वर्तमान तथा भविष्यत् तीनों कालों में था, है
और रहेगा। तीनों कालों में ऐसा कोई क्षण नहीं जब पुद्गल का सातत्य न हो। पुनः 14 वें शतक में पर्याय की दृष्टि से इसकी अनित्यता का प्रतिपादन किया है; यह पुद्गल अनन्त, अपरिमित और शाश्वत अतीत काल में एक समय तक रूक्ष स्पर्श वाला रहा, एक समय तक अरूक्ष (स्निग्ध) स्पर्श वाला रहा और एक समय तक रूक्ष और स्निग्ध दोनों प्रकार के स्पर्श वाला रहा। पहले करण (अर्थात् प्रयोगकरण और विस्रसाकरण) के द्वारा यही पुद्गल अनेक वर्ण और अनेक रूप वाले परिणाम से परिणत हुआ और उसके बाद अनेक वर्णादि परिणामों से क्षीण होने पर वह एक वर्ण वाला व एक रूपवाला भी हुआ। इसी प्रकार वर्तमान काल व भविष्यत् काल में भी उसकी पर्यायों के परिवर्तन के कारण ही पुद्गलद्रव्य की अनित्यता को स्पष्ट किया गया है।23
परमाणु के भी द्रव्य, क्षेत्र, काल व भाव की दृष्टि से भगवतीसूत्र में चार भेद किये हैं- 1. द्रव्य परमाणु, 2. क्षेत्र परमाणु, 3. काल परमाणु, 4. भाव परमाणु। उक्त चारों दृष्टियों से परमाणु का स्वरूप विवेचित करते हुए भगवतीसूत्र में कहा है- द्रव्य परमाणु अच्छेद्य, अभेद्य, अदाह्य व अग्राह्य है। क्षेत्र परमाणु अनर्ध, अमध्य, अप्रदेशी व अविभागी है। काल परमाणु अवर्ण, अगंध, अरस और अस्पर्श वाला है तथा भाव परमाणु वर्ण, गंध, रस व स्पर्शयुक्त है।24 द्रव्य की एकता व अनेकता25
भगवतीसूत्र में परस्पर विरोधी माने जाने वाले दो धर्मों- एकता व अनेकता को अपेक्षा भेद से एक ही द्रव्य में स्वीकार कर अनेकान्तशैली का सुन्दर उदाहरण प्रस्तुत किया गया है। जीवद्रव्य में एकता व अनेकता दोनों का प्रतिपादन करते हुए ग्रंथ में भगवान् महावीर सोमिल ब्राह्मण को कहते हैं- 'सोमिल! द्रव्यदृष्टि से मैं एक हूँ। ज्ञान व दर्शन की दृष्टि से मैं अक्षय हूँ, अव्यय हूँ, अवस्थित हूँ। बदलते
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भगवतीसूत्र का दार्शनिक परिशीलन