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________________ गौतम- भन्ते, जीव सकम्प हैं या निष्कम्प? भगवान् महावीर- गौतम, जीव सकम्प भी हैं और निष्कम्प भी। गौतम- इसका क्या कारण? भगवान् महावीर- जीव दो प्रकार के हैं- संसारी और मुक्त। मुक्त जीव के दो प्रकार हैं अनन्तरसिद्ध और परम्परसिद्ध । परंपर-सिद्ध तो निष्कम्प हैं और अनंतरसिद्ध सकम्प। संसारी जीवों के भी दो प्रकार हैं- शैलेशीप्रतिपन्नक और अशैलेशीप्रतिपन्नक। शैलेशीप्रतिपन्नक जीव निष्कम्प होते हैं और अशैलेशीप्रतिपन्नक सकम्प होते हैं - (25.4.81)। गौतम- जीव सवीर्य हैं या अवीर्य हैं? भगवान् महावीर- जीव सवीर्य भी हैं और अवीर्य भी हैं। गौतम- इसका क्या कारण? भगवान् महावीर- जीव दो प्रकार के हैं। संसारी और मुक्त। मुक्त तो अवीर्य हैं। संसारी जीव के दो भेद हैं- शैलेशीप्रतिपन्न और अशैलेशीप्रतिपन्न । शैलेशीप्रतिपन्न जीव लब्धिवीर्य की अपेक्षा से सवीर्य हैं, किन्तु करण-वीर्य की अपेक्षा से सवीर्य भी हैं और अवीर्य भी हैं। जो जीव पराक्रम करते हैं, वे करणवीर्य की अपेक्षा से सवीर्य हैं और अपराक्रमी हैं, वे करणवीर्य की अपेक्षा से अवीर्य हैं - (1.8.10)। भगवतीसूत्र में इस तरह के कई प्रश्नोत्तर प्राप्त होते हैं जहाँ बुद्ध के विभज्यवाद की तरह ही प्रश्नों के विभाग करके उत्तर दिये गये हैं। यहाँ भगवान् बुद्ध व भगवान् महावीर दोनों ने एक सामान्य में दो विरोधी बातों को स्वीकार करके उसी एक को विभक्त करके दोनों विभागों में दो विरोधी धर्मों को संगत बताया है। लेकिन यहाँ एक बात ध्यान देने योग्य है कि उपर्युक्त विभज्यवाद में दो विरोधी धर्म एक काल में किसी एक व्यक्ति में नहीं, बल्कि भिन्न-भिन्न व्यक्तियों में घटाये गये हैं। भगवान बुद्ध का विभज्यवाद इस मर्यादित क्षेत्र में ही रहा, किन्तु भगवान् महावीर ने इस विभज्यवाद के क्षेत्र को व्यापक बनाया। उन्होंने विरोधी धर्मों को एक ही काल में और एक ही व्यक्ति में अपेक्षा भेद से घटाया है। इसी कारण से भगवान् महावीर का विभज्यवाद आगे चलकर अनेकान्तवाद या स्यावाद के रूप में विकसित हो गया। अनेकान्तवाद, स्याद्वाद एवं नयवाद 177
SR No.023140
Book TitleBhagwati Sutra Ka Darshanik Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTara Daga
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2012
Total Pages340
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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