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संदर्भ 1. व्या. सू. 13.4.66 2. 'गतिलक्खणे णं धम्मत्थिकाए' वही, 13.4.24
व्या. सू. 2.10.2 पंचास्तिकाय, गा. 83 द्रव्यसंग्रह, गा. 17 शास्त्री, देवेन्द्र मुनि, जैन दर्शन स्वरूप और विश्रूषण, पृ. 132
The Nature of the Physical world, P, 31 8. वही, 20.2.4 9. भगवतीवृत्ति, अभयदेव, पत्रांक 776
'लोए लोयमत्ते लोयप्पमाणे लोयफुडे लोयं चेव फुसित्ताणं चिट्टइ' - वही, 2.10.13 वही, 13.4.52 वही, 2.10.14-21 व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र (भाग-1), विवेचन, पृ. 251 'एगपदेसूणे वि य णं धम्मत्थिकाए नो धम्मत्थिकाए त्ति वत्तव्वं सिया' -
व्या.सू. 2.10.7-8 15. भगवतीवृत्ति, अभयदेव, पत्रांक 149 16. (क) व्या. सू. 2.10.3 (ख) द्रव्यसंग्रह, 18 (ग) तत्त्वार्थसूत्र, 5.17 17. व्या. सू. 2.10.3 18. वर्णी, जिनेन्द्र-पदार्थ विज्ञान, पृ. 190 19. पंचास्तिकाय, गा. 86 20. पंचास्तिकाय, गा. 89 21. तत्त्वार्थसूत्र, 5.17
द्रव्यसंग्रह, गा. 18 व्या. सू. 13.4.53 वही, 2.10.22 वही, 2.10.8 वही, 20.2.5 व्या. सू. 13.4.24
व्या. सू. 13.4.25 29. प्रज्ञापनावृत्ति, पद 1 30. मुनि नथमल- जैन दर्शन मनन और मीमांसा, पृ. 189 31. व्या. सू. 11.10.10 32. निश्चयद्वात्रिंशिक, 24 33. तत्त्वार्थराजवार्तिक, 5.17.20-21, पृ. 462
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भगवतीसूत्र का दार्शनिक परिशीलन