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________________ 51. 52. 53. 54. 55. 56. 57. व्या. सू., 2.1.8 58. तत्त्वार्थसूत्र, 5.7-8 59. 65. वही, 8.3.6 वही, 1.9.1-3 वही, 14.4.10 वही, 20.3.1 वही, 20.2.7 भगवती वृत्ति, अभयदेव, पत्रांक, 776-77 66. 67. 68. 69. 70. 71. 72. 73. 74. 75. 76. 77. 78. 79. 80. 81. 82. 83. 84. 60. 61. 62. 63. तत्त्वार्थसूत्र, 2.1 64. 114 'जावतिया लोगागासपएसा एगमेगस्स णं जीवस्स एवतिया जीवपएसा पण्णत्ता' - व्या. सू. 8.10.29-30 तत्त्वार्थवार्तिक, 5.3.442 व्या. सू. 25.2.3 'जीवा णो वड्ढति, नो हायंति, अवट्ठिता ।' वही, 5.8.10 'छव्विहे भावे पन्नते, तं जहा उदइए उवसमिए जाव सन्निवातिए । ' व्या. सू. 17.1.28-29 अनुयोगद्वार, नामाधिकार, 251 'अट्ठविहा आया पन्नत्ता, तं जहा -दवियाया... विरियाया । ' व्या. सू. 12.10.1 वही, 1.6.26 वही, 17.2.18-19 वही, 16.1.18 वही, 9.33.101 वही, 14.4.10 वही, 17.1.16 2.4.1 16.1.19 भगवती वृत्ति, अभयदेव, पत्रांक 622 व्या. सू. 13.7.10-14 सन्मति प्रकरण, 1.47 आचारांग मुनि मधुकर, 1.3.4.129, पृ. 112 व्या. सू. 6.10.2 वही, 2.1.9 वही, 8.2.38, 1.8.10 वही,7.1.11-13 'अणंतासिद्धा.....' - वही, 25.2.3 ‘सिद्धा वड्ढंति, नो हायंति, अवट्ठिता वि।' वही, 5.8.13 वही, 2.1.24 आचारांग, सम्पां. मुनि मधुकर, 1.5.6.176, पृ. 188 भगवतीसूत्र का दार्शनिक परिशीलन
SR No.023140
Book TitleBhagwati Sutra Ka Darshanik Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTara Daga
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2012
Total Pages340
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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