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17. वही, 20.2.7 18. स्थानांग, 2.1.1 19. प्रवचनसार, अधिकार दो. गा. 35 20. अणुगुरुदेहपमाणो उवसंहारप्पसप्पदो चेदा। -- द्रव्यसंग्रह, गा. 10 21. व्या. सू. 2.10.9 22. वही, 3.3.11 23. वही, 7.1.13 24. द्रव्यसंग्रह, गा. 3 25. व्या. सू. 16.7.1 26. पंचास्तिकाय, गा. 48 27. 'जीवाणं चेयकडा कम्मा कजंति, नो अचेयकडा कम्मा कजति।' - व्या. सू. 16.2.17 28. वही, 1.6.7 29. वही, 17.2.17 30. वही, 7.7.5, 10 31. 'उदिण्ण वेदेति, नो अनुदिण्णं वेदेति'......... - वही 1.2.3 32. 'नेरइयस्स वा, तिरिक्खजोणियस्स वा, मणूसस्स वा,
देवस्स वा जे कडे पाव कम्मे, णत्थि णं तस्स अवेदइत्ता मोक्खो।' वही, 1.4.6 33. वही, 25.8.7 34. 'जीवदव्वाणं अजीवदव्वा परिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति............। - वही, 25.2.4 35. उत्तराध्ययन, 3.2-4
समयसार, गा.83 37. श्वेताश्वतर उपनिषद, 5.7 38. गीता, 2.20 39. डॉ. राधाकृष्णन्-भारतीय दर्शन (भाग-2) पृ. 652 40. व्या. सू. 7.8.2
व्या. सू. (भाग-2) विवेचना, मुनि मधुकर, पृ. 175 42. गणधरवाद, 1586 43. प्रवचनसार, 137 की टीका 44. व्या. सृ. 8.3.6 45. 'हत्थिस्स य कुंथुस्स य समा चेव अपच्चक्खाणकिरिया कज्जति।' - वही, 7.8.8 46. तत्त्वार्थसूत्र, 5.29 47. पंचास्तिकाय, गा. 17 48. व्या. सू. 9.33.101 49. मालवणिया, दलसुख - आगम युग का जैन दर्शन, पृ. 71-72 50. 'दव्वओ जीवे सअंते, खेत्तओ जीवे सअंते, कालओ जीवे अणंते
भावओ जीवे अणंते- व्या. सू. 2.1.24
जीव द्रव्य
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