SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 108
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ रूपी- अजीवद्रव्य ↓ 82 स्कन्ध स्कन्ध देश स्कन्धप्रदेश स्कन्धपरमाणु रूपी ↓ स्कन्ध स्कन्ध देश स्कन्ध प्रदेश परमाणु-पुद्गल आकाशास्तिकाय का देश आकाशास्तिकाय का प्रदेश अद्धाकाल (ख) अजीवद्रव्य '2 अरूपी - अजीवद्रव्य ↓ धर्मास्तिकाय, धर्मास्तिकाय का देश धर्मास्तिकाय के प्रदेश अधर्मास्तिकाय नहीं, अधर्मास्तिकाय का देश अधर्मास्तिकाय के प्रदेश आकाशास्तिकाय नहीं, आकाशास्तिकाय का देश आकाशास्तिकाय के प्रदेश अद्धासमय (ग) अजीवद्रव्य अरूपी ↓ धर्मास्तिकाय-नौधर्मास्तिकाय देश धर्मास्तिकाय के प्रदेश अधर्मास्तिकाय-नौअधर्मास्तिकाय का देश अधर्मास्तिकाय के प्रदेश अद्धासमय भगवतीसूत्र 34 में सर्वद्रव्य की विवेचना में द्रव्य के छः भेद किये गये हैं1. धर्मास्तिकाय, 2. अधर्मास्तिकाय, 3. आकाशास्तिकाय, 4. जीवास्तिकाय, 5. पुद्गलास्तिकाय, 6. अद्धासमय अस्तिकायों के विवेचन में पाँच अस्तिकाय का विवेचन प्राप्त होता है 135 1. धर्मास्तिकाय, 2. अधर्मास्तिकाय, 3. आकाशास्तिकाय, 4. जीवास्तिकाय, 5. पुद्गलास्तिकाय इस प्रकार भगवतीसूत्र में द्रव्य के दो प्रमुख भेद जीव व अजीव किये गये हैं। पाँच अस्तिकायों व छः द्रव्यों का विभाजन भी मिलता है । आगे जीव द्रव्य व अजीव द्रव्य के क्रम में द्रव्य विवेचन प्रस्तुत किया जा रहा है। भगवतीसूत्र का दार्शनिक परिशीलन
SR No.023140
Book TitleBhagwati Sutra Ka Darshanik Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTara Daga
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2012
Total Pages340
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy