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________________ 9. तत्त्वार्थराजवार्तिक, 5.10.10-14, पृ. 455 10. व्या. सू., 25.4.8,17 11. जैनेन्द्र सिद्धांत कोश, (भाग-तीन), पृ. 438 12. व्या. सू., 11.10.11 13. 'चउव्विहे लोए पन्नत्ते, तं जहा – दव्वलोए खेत्तलोए काललोए भावलोए' व्या. सू., 11.10.2, 2.1.24 14. वही, 11.10.3-6 15. तत्त्वार्थसूत्र (हिन्दी विवेचन), संघवी, सुखलाल, पृ. 117-118 16. तत्त्वार्थराजवार्तिक, 3.7, पृ. 169 17. उत्तराध्ययन, 36.50, 54 18. वही, 5.24, 14.41, 18.29, 19.8 19. व्या. सू., 11.10.7-11 20. तिलोयपण्णत्ति (यतिवृषभ), 1.137-139 21. तलरुक्खसंठाणो-धवला, 4/1.3.2, गा.7 पृ. 11 22. व्या. सू., 1.6.25.2 23. मुनि नथमल-जैन दर्शन मनन और मीमांसा, पृ. 192 24. व्या. सू., 1.6.25.2 25. वही, 12.7.2-3 26. 'सव्वत्थोए तिरियलोए, उड्ढलोए असंखेज्जगुणे, अहेलोए विसेसाहिए'- वही, 13.4.70 27. भगवतीवृत्ति, अभयदेव, पत्रांक, 616 28. प्रशमरति, गा. 210, पृ. 32 29. कार्तिकेयानुप्रेक्षा, गा. 120 30. गणितानुयोग (संपादकीय), पृ. 6 31. व्या. सू., 11.10.26, 27 32. वही, 13.4.12-15 33. 'रोहा! लोए य अलोए य पुव्विं पेते, पच्छा पेते, दो वि ते सासता भावा, अणाणुपुव्वी एसा रोहा'!-व्या.सू., 1.6.13-16 34. भगवतीवृत्ति, अभयदेव, पत्रांक, 96, 97 35. 'लोअंते य सत्तमे य ओवासंतरे पुव्विं पेते जाव अणाणुपुव्वी ऐसा रोहा'-वही, 1.6.18 लोगंते अलोगंतं फुसति अलोगते वि लोगंतं फुसति'- व्या. सू., 1.6.5-6 37. फ्रन्टियर्स आफ एस्ट्रोनोमी, पृ. 304 38. मुनि महेन्द्र कुमार-विश्वप्रहेलिका, पृ. 8 लोक-स्वरूप
SR No.023140
Book TitleBhagwati Sutra Ka Darshanik Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTara Daga
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2012
Total Pages340
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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