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________________ जैन नीतिशास्त्र का स्वरूप • 197 अपेक्षा की जाती है कि शरीर के अवयव निश्चित रहें।।18 मोक्षार्थी जिसने निद्रा पर विजय प्राप्त कर ली है, जो सूत्रों तथा उनके अर्थों के ज्ञाता हैं, शुद्ध विचारों से सम्पन्न हैं तथा जिनमें शारीरिक और आध्यात्मिक बल है वही मुनि कायोत्सर्ग के उपयुक्त है।19 मुनि की दिनचर्या के चार भाग मुनि को चाहिए कि वह दिवस को चार भागों में विभक्त करे और तदनुसार दिनचर्या सम्पन्न करे।।20 यथा (1) प्रथम प्रहर में मुख्यत: स्वाध्याय करे। (2) द्वितीय प्रहर में ध्यान करे। (3) तृतीय प्रहर में भिक्षाचर्या करे। (4) चतुर्थ प्रहर में पुन: स्वाध्याय करे।।2। इसी प्रकार रात्रि के चार भाग करे और चारों प्रहरों में क्रमश: स्वाध्याय, ध्यान, निद्रा एवं पुन: स्वाध्याय करे।122 ___ इससे प्रतीत होता है कि श्रमण की दिनचर्या में अध्ययन का महत्व सर्वाधिक है। श्रमण के स्वाध्याय में पांच क्रियाओं का समावेश किया जाता है-(1) याचना, (2) पृच्छना, (3) परिवर्तना पुनरावर्तन, (4) अनुपेक्षा चिन्तन और (5) धर्मकथा।123 ___ इस दिनचर्या के पश्चात् दिवस के प्रथम प्रहर के प्रारम्भिक चतुर्थ भाग में श्रमण वस्त्र पात्रादि का प्रतिलेखन निरीक्षण करे, गुरु को नमस्कार करे और सर्वदुःखमुक्ति के लिए स्वाध्याय करे।।24 दिवस के अन्तिम प्रहर के चतुर्थ भाग में स्वाध्याय से निवृत्त होकर गुरुवन्दना के पश्चात् वस्त्रपात्रादि का पुनर्प्रतिलेखन करे।।25 प्रतिलेखन करते समय वह सावधान एवं एकाग्र रहे, किसी से वार्तालाप न करे। तीसरे प्रहर के कर्तव्य भिक्षाचारी, आहार तथा दूसरे गांव में भिक्षार्थ आदि जाने का विधान है। 26 भिक्षार्थ जाते समय मुनि को पात्र आदि का समुचित प्रमार्जन कर लेना चाहिए तथा अधिक-से-अधिक दो कोस तक जाना चाहिए।।27 __चतुर्थ प्रहर के कर्तव्य वस्त्र-पात्र-प्रतिलेखन, स्वाध्याय, शय्या और उच्चारभूमि की प्रतिलेखना का विधान है। 28 मुनि को चतुर्थ प्रहर के अन्त में स्वाध्याय से निवृत्त होकर वस्त्र पात्रादि की प्रतिलेखना के उपरान्त मलमूत्र के विसर्जन की भूमि को देखना चाहिए तथा फिर कायोत्सर्ग करना चाहिए।29 अर्थात्
SR No.023137
Book TitleJain Agam Itihas Evam Sanskriti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRekha Chaturvedi
PublisherAnamika Publishers and Distributors P L
Publication Year2000
Total Pages372
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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