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________________ शरीर, निसर्गतः दूध, गेहूं और बाजरी से आंख का निर्माण करता है। ऐसी आंख संसार का सर्वोत्तम डाक्टर भी नहीं बना सकता। भूख जब व्याकुल बना देती है, तब आंखों में धुंधलापन आने लगता है, लेकिन उस समय अगर थोड़ा-सा दूध मिल जाय तो चेतना लौट सी आती है। आंखों का धुंधलापन मिटाकर तेजी लाना, यही आंख बनाना है। आत्मा में ऐसी शक्ति है कि उसके सक्रिय रहने पर सभी चैतन्य रहते हैं। दूध पीने से आंखों में तेजी आ गई और शरीर में स्फूर्ति, लेकिन इस तेजी और स्फूर्ति का उपयोग क्या करना चाहिए? इस संबंध में एक कवि ने कहा है - दम पर दम हरभज, नहीं भरोसा दम का। एक दम में निकल जाएगा, दम आदम का।। दम में दम है जब तक, सुमर हरि-हर को। दम आवे न आवे इसकी आश मतकर तूं।। एक नाम प्रभु का जप वही हृदय में धर तूं। नर इसी नाम से तिर जा, भव-सागर तूं।। छल करता थोड़े जीने की खातिर तूं।। वो साहब है जल्लाद जरा तो डर तूं। वहां अटल पड़ा इन्साफ, इसी दम दम का।। दम पर दम हर. तात्पर्य यह है कि नारकी जीवों के तीन शरीर होते हैं। और केवल स्थूल शरीर ही शरीर नहीं है, अपितु सूक्ष्म शरीर भी है, जो मृत्यु काल में विद्यमान रहते हैं और जीव और पुद्गलों के परिणमन में निमित्त होते हैं। इसके पश्चात गौतम स्वामी ने प्रश्न किया है - भगवन! वैक्रिय शरीर वाले नारक जीव क्रोधी हैं, मानी हैं, मायी हैं या लोभी हैं? इस प्रश्न के उत्तर में भगवान् फरमाते हैं-हे गौतम! इस विषय में सत्ताईस भंग समझने चाहिएं। क्योंकि ऐसा कोई समय नहीं होता जब वैक्रिय शरीर वाले जीव नरक में न हों। वैक्रिय शरीर वाले जीव नरक में बहुत होते हैं, इसलिए सत्ताईस भंग ही प्राप्त होते हैं। इसी प्रकार तीनों शरीरों के संबंध में जानना चाहिए। . कहा जा सकता है कि वैक्रिय शरीर वालों के सत्ताईस भंग भगवान् ने फरमा दिये थे। शेष दो शरीर ही बचे थे। अतएव यह कहना चाहिए था कि 'इसी प्रकार दोनों शरीरों के संबंध में जानना चाहिए। मगर यहां 'इसी प्रकार तीनों शरीरों के संबंध में जानना चाहिए,' ऐसा कहा है। इसका क्या कारण है? ५४ श्री जवाहर किरणावली
SR No.023135
Book TitleBhagwati Sutra Vyakhyan Part 03 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJawaharlal Aacharya
PublisherJawahar Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages290
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size19 MB
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