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________________ इस प्रश्न का उत्तर यह दिया गया है कि श्रुत भी इष्ट देव रूप ही है। प्रश्न-श्रुत इष्ट देव किस प्रकार है? . उत्तर-इसलिए कि अर्हन्त भगवान् श्री श्रुत को नमस्कार करते है। प्रश्न-क्या अर्हन्त की वाणी को अर्हन्त ही नमस्कार करते हैं ? उत्तर-अर्हन्त जैसे सिद्धों को नमस्कार करते हैं, उसी प्रकार प्रवचन अर्थात् सिद्धान्त को भी नमस्कार करते हैं। इसी हेतु श्रुत को भी इष्ट देव कहा गया है। प्रश्न-अर्हन्त श्रुत को नमस्कार करते हैं, इस कथन में कोई प्रमाण है? उत्तर-हां, प्रमाण क्यों नहीं है? अर्हन्त भगवान् जब समवसरण में विराजते हैं तब कहते हैं णमो तित्थाय-नमस्तीर्थाय। अर्थात तीर्थ को नमस्कार हो। इस कथन से प्रतीत होता है कि अर्हन्त श्रुत को भी नमस्कार करते प्रश्न-तीर्थंकर तीर्थ को नमस्कार करते हैं तो श्रुत को नमस्कार करना कैसे कहलाया? ___ उत्तर-असली तीर्थ श्रुत ही है। श्रुत में सम्पूर्ण द्वादशांगी का ज्ञान अन्तर्गत हो जाता है। जिससे तिर जावे वही तीर्थ कहलाता है। यहां संसार-सागर से तिर जाने का अभिप्राय है। श्रुत का सहारा लेकर भव्य जीव भवसागर के पार पहुंचते हैं, अतएव श्रुत तीर्थ कहलाता है। इसी कारण अर्हन्त इसे नमस्कार करते हैं। प्रश्न-साधु, साध्वी, श्रावक और श्राविका तीर्थ के रूप में प्रसिद्ध हैं। आपने श्रुत को तीर्थ के अन्तर्गत कैसे कर लिया? उत्तर-साधु, साध्वी और श्रावक-श्राविका तीर्थ नहीं हैं, ऐसी बात नहीं है। अनेक तीर्थ होने का निषेध करना हमारे कथन का अभिप्राय नहीं है। साधु-साध्वी आदि चतुर्विध संघ भी तीर्थ कहलाता है और श्रुत भी तीर्थ कहलाता है। साधु, साध्वी, श्रावक और श्राविका रूप चतुर्विध संघ रूपी तीर्थ को अर्हन्त नमस्कार नहीं करते हैं। यद्यपि चतुर्विध संघ भी तीर्थ कहलाता है, जैसे कि इसी भगवती सूत्र के बीसवें शतक में भगवान् ने साधु, साध्वी, श्रावक और श्राविका को भी तीर्थ कहा है, लेकिन अर्हन्त भगवान् तीर्थ को नमस्कार करते हैं वह तीर्थ यह नहीं है। ५८ श्री जवाहर किरणावली 8888888883 3
SR No.023134
Book TitleBhagwati Sutra Vyakhyan Part 01 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJawaharlal Aacharya
PublisherJawahar Vidyapith
Publication Year2006
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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