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________________ नहीं है, कलकता सौ योजन दूर है । चला कम है और चलना अधिक है। ऐसी दशा में उसे गया कैसे कहा जाय ? जो ऐसा प्रश्न करता है उसे व्यवहार का ज्ञान तो है पर निश्चय का ज्ञान नहीं है। ज्ञानी जन निश्चय नय की अपेक्षा जो कथन करते हैं, उसका प्रश्नकर्ता को भान नहीं है। इस न जानी हुई बात को समझा देने का नाम ही सिद्धान्त है । इस सिद्धान्त और निश्चय नय की अपेक्षा चल रहे को चला कहना चाहिए | व्यवहार नय की अपेक्षा जो कलकता जा रहा है उसे चलता माना जाता है, गया नहीं माना जाता । निश्चयनय कहता है कि जो चलने लगा, वह चला अर्थात जिसने गमन क्रिया आरंभ कर दी वह गया, ऐसा मानना चाहिए । विशेषावश्यक भाष्य में इस प्रश्न की विस्तार पूर्वक विवेचना की गई है। वहां जमाली के चलमाणे अचलिए इस मत पर विचार कर इसका सहेतुक खंडन किया गया है । और चलमाणे चलिए इस सिद्धान्त की स्थापना की गई है । जो लोग यह कहते हैं कि मोक्ष की चर्चा ही तत्व है उन्हें यह भी समझना चाहिए कि क्या शास्त्र में परमाणु की चर्चा, काल की चर्चा, क्षेत्र की चर्चा नहीं की गई है? अगर की गई है तो किस दृष्टि से ? शास्त्र में अगर पुण्य की बात कहीं है तो क्या पाप की बात नही कहीं है? बंध का विवेचन है तो क्या निर्जरा का विवेचन नहीं है? शास्त्र में सभी विषयों की यथोचित चर्चा है और ये सभी मोक्ष में निमित्त होते हैं । I चलमाणे चलिए इस सिद्धान्त को स्वीकार न करने से अनेक दोष आते हैं। भगवती सूत्र में आगे वर्णन आएगा कि गौतम स्वामी ने भगवान से प्रश्न किया-प्रभो ! एक मुनि भिक्षा-चर्या के लिए गया । मोहनीय कर्म के उदय से वहाँ उसे कोई दोष लग गया। दोष तो लग गया मगर बाद में मुनि को पश्चात्ताप हुआ। उसने विचार किया कि मैं गुरु महाराज की सेवा में उपस्थित होकर इस दोष की आलोचना करूंगा । आलोचना करने का संकल्प करके उसने गुरु महाराज की सेवा में प्रस्थान किया । किन्तु वहाँ पहुँचने से पहले ही मार्ग में ही मृत्यु को प्राप्त हो गया ऐसी स्थिति में दोष लगाने वाला वह मुनि आराधक कहलाएगा या नहीं? भगवान ने उत्तर दिया- आराधक होगा । श्री भगवती सूत्र व्याख्यान २२५
SR No.023134
Book TitleBhagwati Sutra Vyakhyan Part 01 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJawaharlal Aacharya
PublisherJawahar Vidyapith
Publication Year2006
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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