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________________ व्याख्या से हो गया कि केवलज्ञान की उत्पत्ति और समस्त कर्मों के क्षय रूप मोक्ष का क्रम प्रतिपादन करने के लिए इन नौ पदों की चर्चा की गई थी। केवलज्ञान और मोक्ष दोनों ही परम मांगलिक हैं। अतएव आंरभ में इनकी चर्चा करना अंसगत नहीं है। ___आचार्य सिद्धसेन दिवाकर के विषय में प्रसिद्ध है कि उन्होंने राजा विक्रमादित्य को बोध दिया था। कहते हैं कल्याणमन्दिर उन्हीं की रचना है। इन आचार्य ने सम्मति तर्क नामक ग्रन्थ की भी रचना की है। उसमें आचार्य ने 'चलमाणे चलिए।' इत्यादि सूत्र को पुष्ट करते हुए कहा है उप्पज्जमाण कालं उप्पण्णं विगययं विगच्छन्तं। दवियं पण्णवयंतो, तिकाल विसयं विसेसेइ।। अर्थात- उत्पद्यमान कालिक (वर्तमान कालीन) द्रव्यं को उत्पन्न कालिक(भूतकालीन) तथा विगच्छत कालिक (वर्तमान कालीन) द्रव्य को विगत कालिक (भूत कालीन) प्ररूपण करने वाले भगवान ने द्रव्य को त्रिकाल विषयक प्रतिपादन किया है। तात्पर्य यह है कि वस्तु अपनी उत्पत्ति के प्रथम समय से अंतिम समय तक उत्पद्यमान होती है,अतः एवं 'उत्पद्यमान' पद से वर्तमान और भविष्य काल विषयक वस्तु का प्रतिपादन किया है और उत्पन्न पद से भूतकालीन वस्तु का प्रतिपादन किया है। इसी प्रकार विगच्छत् पद से और विगत पद से तीनों कालों का निरूपण समझना चाहिए। इस तरह 'चलमाणे चलिए' आदि पदों से भगवान ने यह सूचित किया है कि वस्तु तीनों कालों में विद्यमान रहती है। श्रीसिद्धसेन दिवाकर कहते हैं कि 'चलमाणे' इस कथन से वर्तमान काल और भविष्यकाल का बोध होता है। अतएव गौतम स्वामी भगवान से प्रश्न करते हैं कि द्रव्य भूतकाल में भी होगा या नहीं? आरम्भिक क्रिया से लेकर अन्तिम समय की क्रिया तक वर्तमान और भविष्य का बोध होता है, और 'उत्पन्न' कहकर भगवान ने भूतकाल का बोध कराया है। इस प्रकार पूर्वोक्त नौ पदों से यह सिद्ध होता है कि द्रव्य भूत, वर्तमान और भविष्य तीनों कालों में विद्यमान रहता है। इस प्रकार इन पदों में कर्म की चर्चा होने पर भी द्रव्य की चर्चा का भी समावेश हो जाता किसी किसी आचार्य का अभिप्राय यह है कि इन नौ पदों के विषय में शास्त्र में कहीं ऐसा उल्लेख नहीं है कि यह पद कर्म के विषय में ही कहे गये है। ऐसी स्थिति में इन्हें कर्म के सम्बन्ध में ही मानने का कोई कारण नहीं - श्री भगवती सूत्र व्याख्यान २२१
SR No.023134
Book TitleBhagwati Sutra Vyakhyan Part 01 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJawaharlal Aacharya
PublisherJawahar Vidyapith
Publication Year2006
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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