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________________ प्रदक्षिणा करके गौतम स्वामी ने भगवान् के गुणों का कीर्तन किया और पांच अंग नमा कर भगवान् को वंदना की। वंदना करने के पश्चात् गौतम स्वामी भगवान् के सन्मुख बैठे। वचन से स्तुति करना वंदना है और काया से प्रणाम करना नमस्कार कहलाता है। गौतम स्वामी भगवान् के सन्मुख-भगवान् की ओर मुंह करके, किस प्रकार बैठे, यह वर्णन भी शास्त्र में है। संक्षेप में वह भी बतलाया जाता है। गौतम स्वामी भगवान के आसन की अपेक्षा नीचे आसनपर न बहुत दूर न बहुत नजदीक अर्थात भगवान से साढ़े तीन हाथ दूर बैठे। बहुत दूर बैठने से शिष्य गुरु की बात भली भाँति नहीं सुन सकता। अथवा गुरु को जोर से बोलने का कष्ट उठाना पड़ता है। बहुत समीप बैठने से गुरु को किस प्रकार की दिक्कत होती है। अतएव गौतम स्वामी भगवान से साढ़े तीन हाथ की दूरी पर भगवान के वचनों को श्रवण करने की इच्छा करते हुए विराजमान हुए। गौतम स्वामी, भगवान के सामने वैसी ही इच्छा लिये बैठे हैं जैसे बछड़े को गाय का दूध पीने की इच्छा होती है। इसके पश्चात गौतम स्वामी अंजलि करके अर्थात दोनों हाथ जोड़ कर उन्हें मस्तक से लगाकर प्रार्थना करते हुए भगवान के प्रति विनयपूर्वक बोले। यह गौतम स्वामी के विनय का वर्णन सुधर्मा स्वामी ने सुनाया है। इससे प्रतीत होता है कि श्रोता को अपने गुरू के साथ किस प्रकार व्यवहार करना चाहिए। श्रोता कैसा होना चाहिए इस विषय में कहा गया है। जिंदा-विगहा परिवज्जिएहिं, गुत्तेहिं पंजलिउडे हिं। भत्ति-बहुमाणपुव्वं, उवउत्तेहिं सुणेयव्वं ।। अर्थात- गुरु जब शास्त्र की प्ररूपणा करते हों तब श्रोताओं को नींद और आपस की बातचीत बंद करके, मन तथा शरीर को संयम में रखकर हाथ जोड़कर भक्ति एवं अत्यन्त आदर पूर्वक श्रवण करना चाहिए। शास्त्र की प्ररूपणा करते समय नींद लेना या बातें करना प्ररूपणा में विघ्न डालना है। नन्दी सूत्र मे वक्ता और श्रोता के गुण दोष बतलाने के लिए और भी अधिक विवेचन किया गया है। उसमें कहा है कि एक श्रोता गाय के बछड़े के समान होता है। गाय का बछड़ा छूटने पर और किसी बात पर ध्यान नहीं देकर सीधा अपनी माँ के पास दौड़ता है। गाय के बछड़े के समान श्रोता किसी ओर बात पर ध्यान न देकर वक्ता के द्वारा किये जाने वाले विवेचन पर ही ध्यान देता है। १५० श्री जवाहर किरणावली -
SR No.023134
Book TitleBhagwati Sutra Vyakhyan Part 01 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJawaharlal Aacharya
PublisherJawahar Vidyapith
Publication Year2006
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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